संगीत से मिल सकता है 'चरमसुख'
क्या संगीत से आपको 'चरम सुख' की अनुभूति हो सकती है? वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ धुनों का स्वर माधुर्य और इसकी संगति से ऐसा शारीरिक प्रतिक्रिया (फिजिकल रिस्पांस) पैदा हो सकती है जो कि कुछ मामलों में सेक्स जैसी हो सकती है। 80 फीसद श्रोताओं में संगीत एक ताकतवर शारीरिक प्रतिक्रियाएं पैदा करता है, लेकिन कुछेक लोगों में यह इतना गहन होता है कि इसकी सेक्सुअल ऑर्गेज्म (यौन चरमसुख) के साथ तुलना की जा सकती है। संगीत को सुनकर श्रोताओं का शरीर कांपने लग सकता है, पसीना आने लगता है, सिहरन होती है और उत्तेजित महसूस करते हैं।
मेलऑनलाइन के लिए रिचर्ड ग्रे लिखते हैं कि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की प्रतिक्रिया को 'स्किन ऑर्गेज्म' या 'फ्रिजन' के तौर पर जाना जाता है। कहा जाता है कि संगीत में इतनी ताकत होती है कि यह श्रोताओं को इतना झकझोर सकता है कि उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। कुछ लोग इसे इतनी गहनता से अनुभव करते हैं कि इसकी तुलना चरम सुख से की जा सकती है। शोधकर्ताओं के एक दल ने हाल की अपनी समीक्षा में कहा कि संगीत से बहुत सारी शारीरिक प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि 80 फीसदी लोगों की संगीत को सुनकर शारीरिक प्रतिक्रिया होती है। इन प्रतिक्रियाओं में लोगों को भय का गहरा अनुभव होता है, उत्तेजना होती है, हंसी आती है, रोना आता है या भावनाओं के कारण उनसे बोला नहीं जाता।
एक दूसरे अध्ययन में पाया गया कि करीब 24 फीसदी लोगों के आंसू निकलने लगते हैं, दस फीसद लोग कांपने लगते हैं और पांच फीसदी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। प्रयोगशाला में परीक्षणों से साबित हुआ कि निम्नलिखित गानों से श्रोता प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।
इनमें राशमैनिनोफ का पियानो कंसर्टो न.2, अडेल का गाना-समवन लाइक यू, लियोनार्ड कोहेन का हालेजुलाह, शास्त्रीय संगीत में बाख का टोकेटा एफ मेजर में (शास्त्रीय संगीत में जोहान सेबेस्टियन बाख का आर्गन वर्क (वाद्य रचना) है) और 'टाइटेनिक' में सेलिन डियान का गाया गाना- माई हार्ट विल गो ऑन- एक ऐसी आधुनिक रचना है जो कि श्रोताओं को कहीं गहरे तक छू जाती है। इन रचनाओं का दिलोदिमाग पर इतना गहन असर होता है कि उनका प्रभाव शारीरिक प्रतिक्रियाओं के तौर पर सामने आता है।