यहां कभी सड़क होती थी... उत्तराखंड में शुरू होगा गड्ढा भरो अभियान
देहरादून। भीमताल से आने वाली गाड़ी जब मुड़ती है तो टायर भी गड्ढे में चला जाता है। भवाली में घोड़ा खाल को जाने वाला तिराहा है, इस रोड की हालत बहुत दिनों से खराब है। अभी तक रोड खुदती ही जा रही है, इस रोड पर पहले ही बहुत आवाजाही है, अब हल्द्वानी-नैनीताल रोड बंद होने से और दबाव बढ़ गया है, लेकिन इसकी रिपेयरिंग नहीं हुई है।
गड्ढा मुक्त करने का अभियान : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार राज्य में 15 सितंबर से सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का अभियान शुरू होगा। मुख्यमंत्री के अनुसार हम जो काम शुरू करेंगे उसको पूरा करेंगे। प्रदेश की तमाम सड़कों पर बने गड्ढे जगह-जगह दुर्घटनाओं को आमंत्रित करते रहते हैं। पर्यटन के लिए मशहूर उत्तराखंड के कई हिल स्टेशनों पर गड्ढायुक्त सड़कों को देख पर्यटन पर भी प्रभाव पड़ता है।
गड्ढा युक्त सड़कों का खेती-किसानी में भी प्रभाव पड़ रहा है। पिछले 15 जुलाई को भारत सरकार के नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार धारी के समीप बने इनडो डच कम्पनी के सेव बागानों के निरीक्षण के लिए उत्तराखंड के दौरे पर थे।
इनडो डच कंपनी ने उनको अपने द्वारा विकसित कुछ बगीचे दिखाने चाहे इसके लिए कंपनी के एमडी सुधीर चड्ढा उनको कसियालेख क्षेत्र में उनकी कम्पनी द्वारा विकसित उद्यानों तक भी ले जाना चाहते थे, लेकिन सड़कों के गड्ढों ने उनकी हिम्मत को जवाब दे दिया।
नीति आयोग उपाध्यक्ष राजीव कुमार काश्तकारों की पूरी तैयारी के बावजूद काश्तकारों के इनडो डच कम्पनी द्वारा विकसित विकसित बगीचों तक नहीं पहुंच सके। प्रदेशभर की इस तरह की गड्ढामुक्त सड़कें जहां ग्रामीणों के लिए असहजता का सबब बन रही हैं, वहीं नेता लोग भी इसके चलते क्षेत्र में जाना पसंद नहीं करते।
कसियालेख क्षेत्र में अपना उद्यान विकसित करने वाले उद्यानपति देवेन्द्र बिष्ट का कहना था कि मैं काफी उत्साहित था कि राजीव कुमार के भ्रमण से उत्साहित हो बहुत सारे किसान भाई भी पहुंचे हुए थे। दुर्भाग्य से कसियालेख धारी मोटर मार्ग में काफी गड्ढे होने के कारण आगे नहीं आ पाए।