आरसीपी सिंह ने जदयू की सदस्यता छोड़ी, साजिश का आरोप, नया संगठन बनाने का संकेत
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह से स्पष्टीकरण मांगा है। पार्टी उनके जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई तय करेगी। इस बीच आरपीसिंह ने जेडीयू की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। सिंह ने नालंदा में इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मेरी छवि को बदनाम करने की कोशिश की गई।
जनता दल यूनाइटेड (JDU) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के उनके खिलाफ कथित तौर पर अवैध रूप से करोड़ों की अवैध संपत्ति अर्जित किए जाने के आरोप से नाराज होकर आज पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह ने शनिवार को नालंदा स्थित अपने घर पर संवाददाताओं से बातचीत में अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को एक-एक कर खारिज करते हुए कहा कि बगैर किसी सबूत के ही झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाए गए हैं। इस संबंध में अभी तक उन्हें किसी भी तरह का पत्र पार्टी की ओर से नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि गांव के दूसरे व्यक्ति से पूछने से पहले उनसे पूछना चाहिए था।
सिंह ने कहा कि उन्होंने अपना बहुमूल्य समय पार्टी के लिए समर्पित किया है। बिहार का कोई भी ऐसा जिला नहीं जहां वे संगठन की मजबूती के लिए और पार्टी कार्यकर्ताओं के सुख-दुख में साथ खड़े नहीं हुए हो।
जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बगैर किसी नेता का नाम लिए हुए कहा कि आज वही लोग उनके खिलाफ अनर्गल आरोप लगा रहे हैं जो कभी पार्टी के खिलाफ बिहार विधानसभा के चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा बने हुए थे। अपने ऊपर लगे आरोप से आहत होकर उन्होंने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद उनके पास नालंदा स्थित पैतृक आवास के अलावा अन्य कोई स्थान नहीं है, तभी तो अपने पैतृक आवास पर ही रह रहे हैं।
सिंह ने कहा कि उनका जीवन एक खुली हुई किताब के समान है। जो लोग उन पर उंगली उठा रहे हैं वह अपने अंदर भी झांक कर देखें। शीशे के घर में रहने वाले दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते। उन्होंने कहा कि पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपने इस्तीफे से संबंधित पत्र को वह शीघ्र ही शीर्ष नेतृत्व को भेज देंगे।
जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पार्टी को डूबता हुआ नाव बताया और कहा कि ऐसी नाव पर कोई सवार होना नहीं चाहता है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जदयू में झोला उठाने के लिए कौन रहेगा। उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि संगठन के लिए इतनी ईमानदारी से लगने के बाद भी कुछ लोगों ने उन्हें जलील किया।
दूसरी नाव पर सवारी करने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने फिलहाल कुछ भी बताने इनकार किया और कहा कि संगठन बनाना उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं है।
केंद्रीय मंत्री सिंह पर पत्नी और दो पुत्रियों के नाम 58 संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप लगे हैं। यह संपत्ति वर्ष 2013 से लेकर वर्ष 2022 तक अर्जित की गई। सभी जमीन नालंदा के सैफाबाद और शेरपुर मालती मौजा में खरीदी गई। सिंह की पत्नी गिरजा देवी, पुत्री लिपि सिंह और लता सिंह के नाम पर करीब 40 बीघा जमीन रजिस्ट्री कराई गई। इसके खुलासे के बाद राजनीतिक गलियारे के साथ ही जदयू में हड़कंप मच गया है। जदयू प्रदेश नेतृत्व ने पूर्व केंद्रीय मंत्री से इस मामले में स्पष्टीकरण की मांग की है।
सिंह को इस संबंध में भेजे गए पत्र में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा है कि पार्टी के दो कार्यकर्ताओं का सूबत के साथ आवेदन मिला है, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि आपके एवं आपके परिवार के नाम से वर्ष 2013 से वर्ष 2022 तक अकूत अचल संपत्ति का निबंधन कराया गया है। जिसमें कई प्रकार की अनियमितताएं प्रतीत होती हैं।
पत्र में कहा गया है कि आप लंबे समय से दल के सर्वमान्य नेता श्री नीतीश कुमार के साथ अधिकारी एवं राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में काम करते रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो बार राज्यसभा का सदस्य, पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव संगठन, राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा केंद्र में मंत्री के रूप में कार्य करने का अवसर दिया। साथ ही विश्वास एवं भरोसा के साथ आपको जिम्मेदारी भी दी थी।