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Written By Author सुरेश डुग्गर
Last Modified: सोमवार, 24 अक्टूबर 2016 (20:18 IST)

13 सालों से संघर्षविराम का मजाक बना रही है पाकिस्तानी सेना

13 सालों से संघर्षविराम का मजाक बना रही है पाकिस्तानी सेना - Ceasefire, Pakistan army, international border in Jammu and Kashmir
जम्मू। कहने को तो पाकिस्तान से सटे जम्मू कश्मीर के इंटरनेशनल बार्डर और एलओसी पर पिछले 13 सालों से दोनों मुल्कों की सेनाओं के बीच सीजफायर है पर हर दूसरे दिन सीमाओं पर होने वाली गोलों और गोलियों की बरसात अब सीजफायर का मजाक उड़ाने लगी हैं। यही नहीं गोलों व गोलियों की तेज होती बरसात के बीच लाखों सीमावासी अब फिर से पलायन की तैयारी में भी इसलिए जुट गए हैं क्योंकि सीजफायर के उल्लंघन को लेकर पाक सेना की हरकतें शर्मनाक होने लगी हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल पाक सेना ने करीब 245 बार सीजफायर का उल्लंघन किया था। करीब करीब प्रत्येक सीजफायर के उल्लंघन का जवाब भारतीय पक्ष की ओर से दिया गया था। अर्थात उस ओर से गोले दागे गए तो इस ओर से भी गोले ही दागे गए। कभी मोर्टार का इस्तेमाल उस ओर से हुआ तो कभी छोटे तोपखानों का।
नतीजा सामने था। अगले महीने की 26 तारीख को 13 साल पूरे करने जा रहे सीजफायर के अरसे में अब आंकड़ा यह कहता है कि हर दूसरे दिन पाक सेना ने गोलाबारी कर सीजफायर का मजाक उड़ा दिया। अब यह अनुपात बढ़ता जा रहा है। पिछले महीने का आंकड़ा लें तो हर प्रत्येक दिन उसने गोलियां बरसाई हैं।
 
सीजफायर के पहले दो-तीन सालों में भी उल्लंघन की कुछ घटनाएं हुई थीं पर तब सैनिक ठिकाने ही पाक सेना के निशाने पर थे। पर अब एक बार फिर उसने सीमाओं पर सीजफायर से पहले वाली परिस्थिति पैदा कर दी है। अर्थात अब उसके तोपखानों के मुंह नागरिक ठिकानों की ओर हो गए हैं। यही कारण था कि वह जम्मू फ्रंटियर के सैंकड़ों गांवों को पिछले 2 दिनों से निशाना बनाते हुए कई मकानों को ढहा चुके हैं तथा सैन्य व असैन्य क्षेत्रों को जबरदस्त नुक्सान भी पहुंचा चुके हैं।
 
पाक सेना द्वारा सीजफायर के लगातार किए जाने वाले उल्लंघन का भारतीय पक्ष की नजर में एक ही कारण, घुसपैठियों को इस ओर धकेलना है। सैनिक अधिकारी कहते भी रहे हैं कि पाक सेना की नजरों में सीजफायर के मायने इसकी आड़ में आतंकियों को एकत्र करना और सैनिक ठिकानों को मजबूती प्रदान करना रहा है।
 
जबकि अब वह आतंकियों को इस ओर धकेलने के लिए फिर से कवरिंग फायर की नीति अपनाने लगा है। जिस कारण सीमांतवासी सीमा से सटे अपने घरों को त्यागने के लिए मजबूर होने लगे हैं। हालांकि इसे आधिकारिक तौर पर पर चाहे नहीं माना गया है पर सीमांत गांवों का दौरा करने पर यह सामने आया है कि सीमावासी सुरक्षित ठिकानों पर चले जाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लग रहा है कि पाक सेना अपने नापाक इरादों से पीछे नहीं हटने वाली है।
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