बिहार में आपस में भिड़े नीतीश-लालू के प्रवक्ता, लालू बोले संयम बरतें
पटना। राष्ट्रपति चुनाव में बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद की जीत और विपक्षी उम्मीदवार मीरा कुमार की हार तय है। लेकिन इस चुनाव के बहाने सत्तारूढ़ महागठबंधन के 2 सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेताओं और प्रवक्ताओं के बीच वाकयुद्ध जारी है।
इस विवाद पर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने सभी पार्टी प्रवक्ताओं को निर्देश दिया कि महागठबंधन को लेकर मीडिया में चल रहे कन्फ्यूजन को दूर किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी द्वारा अधिकृत प्रवक्ता के बयान को ही आधिकारिक माना जाएगा। सभी नेताओं के बयानों पर उनकी नजर है इसलिए पार्टी लाइन से हटकर कोई बयान न दें। बयान देते वक्त भी मर्यादा का ख्याल रखते हुए संयम बरतें और सोच-समझकर बयान दें।
बिहार में सरकार के गठन से पूर्व से लेकर अब तक हमलावर राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं, रघुवंश प्रसाद सिंह और भाई वीरेंद्र के अलावा इस बार नीतीश कुमार के खिलाफ बयान देने वालों में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी शामिल हैं।
तेजस्वी ने शुक्रवार को नीतीश कुमार के संवाददाता सम्मलेन के 10 मिनट के अंतराल पर ये कहकर सबको चौंका दिया था कि मैदान में कूदने से पहले जीत और हार तय नहीं होती। नीतीश कुमार ने कहा था कि 'बिहार की बेटी' को केवल हारने के लिए ही क्यों चुना गया है? तेजस्वी ने इसी के जवाब में ये बात कही थी।
लेकिन रविवार को अपने दिल की बात के लेख में तेजस्वी ने एक कदम आगे जाते हुए यहां तक कह डाला कि 'कुछ लोग अपने अहंकार और गलत प्राथमिकता के कारण विपक्षी एकता का नुकसान कर रहे हैं। राजनीतिक दांव-पेंच कर कुछ तात्कालिक तो हासिल किया जा सकता है लेकिन दीर्घकालिक राजनीति नहीं की जा सकती।'
तेजस्वी के नजदीकी बता रहे हैं कि उनका बयान नीतीश केंद्रित नहीं, बल्कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को निशाने पर रखकर लिखा गया है। लेकिन राहुल हों या नीतीश, तेजस्वी के बयान से महागठबंधन में शक और तनाव की दरारें और गहरी होंगी। हालांकि तेजस्वी ने दिल की बात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी निशाने पर रखा है लेकिन अपने दिल की बात से उन्होंने एकता के सारे दावों को हवा-हवाई कर दिया है।
वहीं जेडीयू ने तेजस्वी के ताजा बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन उसके नेता आश्वस्त हैं कि तेजस्वी ने अपने दिल की बात से खुद की तरफ गोल कर दिया है। वो चाहे नीतीश के खिलाफ हो या राहुल के, कम से कम तेजस्वी यादव के प्रति इन दोनों नेताओं का विश्वास और कम होगा।
नीतीश, तेजस्वी के शुक्रवार के बयान के अलावा उनके कामकाज से भी खुश नहीं चल रहे। राष्ट्रीय जनता दल के नेता भी मानते हैं कि अपने पथ निर्माण विभाग का अधिकांश बजट जिस प्रकार से तेजस्वी 2 जिलों वैशाली और सारण में खर्च कर रहे हैं, वो नीतीश क्या, उनकी अपनी पार्टी के अधिकांश विधायकों के भी गले नहीं उतर रहा। (एजेंसी)