मंगलवार, 19 नवंबर 2024
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सावधान, क्या रक्षाबंधन पर भद्रा और ग्रहण अशुभ का संकेत है

सावधान, क्या रक्षाबंधन पर भद्रा और ग्रहण अशुभ का संकेत है - rakhi, grahan and bhadra
भाई-बहन के असीम स्नेह का पर्व रक्षाबंधन 7 अगस्त को है लेकिन इस बार इस त्योहार पर भद्रा के साथ ही चंद्रग्रहण का साया भी रहेगा। करीब 12 साल बाद ऐसा संयोग बना है जब राखी के दिन ग्रहण लग रहा है। इसलिए इस बार राखी के दिन सूतक भी लगेगा। इस साल का यह दूसरा चन्द्र ग्रहण है।
 
कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण:-
 
 भारत समेत यूरोप के ज्यादातर हिस्सों में, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, पूर्वी दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, अंटार्कटिका के ज्यादातर क्षेत्र में दिखेगा चंद्र ग्रहण। इस ग्रहण की अवधि 5 घंटे एक मिनट होगी आंशिक ग्रहण की अवधि 1 घंटे, 55 मिनट है।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त:-
 
ग्रहण का समय आरंभ : 7 अगस्त, 21:20:01 पर आंशिक ग्रहण 
 
7 अगस्त, 22:52:56 पर अधिकतम ग्रहण
 
 7 अगस्त, 23:50:29 आंशिक ग्रहण समाप्त 
 
8 अगस्त, 00:48:09 पर ग्रहण समाप्त
 
चंद्रग्रहण कुंवारों के लिए अच्छा नहीं होता है क्योंकि सुंदरता का प्रतीक चंद्रमा तो श्रापित है और जो भी कुंवारा लड़का या लड़की उसे देखता है तो उसकी शादी या तो रूक जाती है या बहुत मुश्किलों से तय होती है। मान्यता तो यह भी है कि ग्रहण देखने वाले युवक-युवती की अगर शादी हो भी जाती है तो भी उनके वैवाहिक जीवन में काफी कष्ट भी आते हैं।
 
चंद्रग्रहण वो खगोलीय स्थिति है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं। चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। चंद्रग्रहण का प्रकार और अवधि चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करते हैं।
चंद्रग्रहण को आप बिना किसी विशेष चश्मे के खुली आंखों से देख सकते हैं क्योंकि इससे आंखों को नुकसान नहीं होता। एक साल में अधिकतम तीन बार पृथ्वी के उपछाया से चंद्रमा गुजरता है। सूर्यग्रहण की तरह ही चंद्रग्रहण भी आंशिक और पूर्ण हो सकता है।
 
ग्रहण में क्या करें क्या ना करें:-
 
चन्द्रमा में कैंची का प्रयोग न करें, फूलों को न तोड़े, बालों व कपड़ों को साफ न करें, दातुन या ब्रश न करें, गाय, भैंस व बकरी का दोहन न करें, भोजन न करें, कठोर शब्दों का प्रयोग न करें, स्त्री प्रसंग न करें, यात्रा न करें तथा शयन करना भी वर्जित माना गया है।
 
विशेष- गर्भवती महिलाएं ग्रहण काल में एक जटा नारियल और 5 गोमती चक्र अपने पास रखें, इससे ग्रहण से निकलने वाली नकारात्मक उर्जा का प्रभाव उन पर नहीं पड़ेगा।
राखी पर भद्रा और ग्रहण दोनों का साया मंगलकारी नहीं है। अत: सावधानी से शुभ समय का चयन कर ही पर्व मनाएं। 
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