विधानसभा चुनाव में 9 बार अजेय रहे बाबूलाल गौर
भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का 21 अगस्त को राजधानी भोपाल में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
2 जून 1930 को उत्तरप्रदेश के प्रतापनगर जिला में पैदा होने होने वाले बाबूलाल गौर का भाजपा के नेता के रूप में मध्यप्रदेश की राजनीति में प्रमुख स्थान रहा है। 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
गौर शिवराज के मंत्रिमंडल में नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री रहे। गौर पहली बार 1974 में भोपाल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में निर्दलीय विधायक चुने गए थे। उन्होंने 1977 में गोविन्दपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और वर्ष 2013 तक वहां से लगातार चुनाव लड़े और जीते भी। वे लगातार 9 बार विधायक रहे। 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उम्र को आधार बनाकर उन्हें टिकट नहीं दिया और उनके स्थान पर उनकी बहू कृष्णा गौर को चुनाव लड़ाया। कृष्णा ने भी उनकी जीत की परंपरा को कायम रखा।
बीए, एलएलबी गौर ने 1993 के विधानसभा चुनाव में 59 हजार 666 मतों के अंतर से विजय प्राप्त कर कीर्तिमान रचा था और 2003 के विधानसभा चुनाव में 64 हजार 212 मतों के अंतर से विजय पाकर अपने ही कीर्तिमान को तोड़ा। वे 7 मार्च 1990 से 15 दिसंबर 1992 तक मध्यप्रदेश के स्थानीय शासन, विधि एवं विधायी कार्य, संसदीय कार्य, जनसंपर्क, नगरीय कल्याण, शहरी आवास तथा पुनर्वास एवं भोपाल गैस त्रासदी राहत मंत्री रहे।
वे 4 सितंबर 2002 से 7 दिसंबर 2003 तक मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। बाबूलाल गौर सन् 1946 से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने दिल्ली तथा पंजाब आदि राज्यों में आयोजित सत्याग्रहों में भी भाग लिया था। गौर आपातकाल के दौरान 19 माह जेल में भी रहे।
1974 में मध्यप्रदेश शासन द्वारा बाबूलाल गौर को 'गोआ मुक्ति आंदोलन' में शामिल होने के कारण 'स्वतंत्रता संग्राम सेनानी' का दर्जा प्रदान किया गया था। सक्रिय राजनीति में आने से पहले बाबूलाल गौर ने भोपाल की कपड़ा मिल में नौकरी की थी और श्रमिकों के हित में अनेक आंदोलनों में भाग लिया था। वे भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं।