भारतीयों को मिल ही गया हार का बहाना
बीजिंग से बैरंग लौटने वाले भारत के कई दिग्गज खिलाड़ियों ने अभिनव बिंद्रा के शुरू में ही स्वर्ण पदक जीतने के बाद हर बार की तरह इस बार अपनी हार के लिए किसी दूसरे को तो जिम्मेदार नहीं ठहराया, लेकिन वह कोई न कोई बहाना बनाने से बाज नहीं आए। किसी खिलाड़ी ने कहा कि उसका प्रतिद्वंद्वी बहुत कड़ा था तो किसी ने चोट का बहाना बनाया। किसी को बीजिंग की परिस्थितियाँ पसंद नहीं आईं तो कोई प्रारूप को लेकर परेशान रहा। कुछ खिलाड़ियों ने तो यहाँ तक कहा कि वे अपनी सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में नहीं थे। भारत को निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अंजलि भागवत, अवनीत कौर सिद्धू, मानवजीतसिंह, गगन नारंग आदि से पदक की आस थी लेकिन ये सब अपने सर्वश्रेष्ठ तक भी नहीं पहुँच पाए। एथेंस ओलिम्पिक के रजत पदक विजेता राठौड़ ने डबल ट्रैप में फाइनल्स के लिए क्वालिफाई न कर पाने के बाद कहा था कि उन्हें निशाना पढ़ने में दिक्कत हुई। पिछले दस दिन से मैं निशाने पढ़ने का प्रयास कर रहा था, लेकिन मुझे इसमें कुछ परेशानी हुई। ट्रैप में 12वें नंबर पर रहने वाले मानवजीत ने इसके लिए अपनी खराब फॉर्म को दोषी माना। उन्होंने हार के बाद कहा था कि मैं 2006 और 2007 की तरह अपनी सर्वश्रेष्ठ फार्म में नहीं था। मुझसे काफी अपेक्षाएँ थीं लेकिन फार्म और भाग्य में उतार-चढ़ाव आता रहता है। अंजलि भागवत को दस मीटर एयर राइफल में 'तालमेल बैठाने में दिक्कत हुई' तो अवनीत ने कहा मैं मानसिक रूप से मजबूत नहीं थी। मैं अपने दिमाग पर नियंत्रण नहीं कर रख पाई। ये दोनों महिला निशानेबाज जब 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में हार के बाद चुपचाप निकल गईं तो भारतीय टीम के हंगेरियन कोच लाजलो जुसाक ने कारतूस की कमी का बहाना बनाने में देर नहीं लगाई। उन्होंने कहा कि जैसे हालात हैं उनमें ओलिम्पिक पदक नहीं जीते जा सकते हैं। गगन नारंग दस मीटर एयर राइफल के बाद आगे भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। हैदराबाद के इस निशानेबाज ने 50 मीटर राइफल प्रोन में लचर प्रदर्शन के बाद देश में निशानेबाजी की बुरी दशा का रोना भी रोया। उन्होंने कहा कि मैंने पहले यह इसलिए नहीं कहा क्योंकि लोग कहते हैं कि हम ओलिम्पिक में उतरने से पहले ही बहाना बनाते हैं। टेनिस में भारत को पदक की आस थी लेकिन लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी क्वार्टर फाइनल में रोजर फेडरर और स्टानिस्लास बावरिंका की स्विस जोड़ी से 2-6, 4-6 से आसानी से हार गई। बाद में पेस ने फेडरर जैसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी का सामना होने की बात कहकर दिल बहलाने की कोशिश की। पेस ने कहा कि दुनिया का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी जब आपका प्रतिद्वंद्वी हो तो आप कुछ नहीं कर सकते।लंबी दूरी की एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज भी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाईं और क्वालिफाइंग के तीनों प्रयास में फाउल करके बाहर हो गईं। विश्व चैंपियनशिप की काँस्य पदक विजेता अंजू ने हालाँकि इसे अपनी गलती नहीं माना और टखने की चोट का बहाना बनाया। अंजू ने हार के बाद कहा था कि ट्रायल्स के दौरान टखना चोटिल हो जाने के बाद मैं जानती थी कि परिणाम क्या होगा। मुझे लगता है कि एक बार पैर में चोट लग जाने के बाद आपके पास करने के लिए कुछ नहीं बचता। तीरंदाज मंगलसिंह चंपिया ने पुरुषों की व्यक्तिगत स्पर्धा में हार के बाद प्रारूप पर गुस्सा निकाला। उन्होंने कहा कि प्रारूप ऐसा था कि मैं खुलकर नहीं खेल पाया। टेबल टेनिस खिलाड़ी नेहा अग्रवाल को हालात अनुकूल नहीं लगे। उन्होंने पहले दौर में ऑस्ट्रेलियाई जियांग फांग से हारने के बाद कहा कि हालात मेरे अनुकूल नहीं थे। उनका बैकहैंड बेहतर था और वे ठीक से स्मैश नहीं कर पा रही थीं। मुक्केबाज एएल लाकड़ा ने शुरू में ही कड़े प्रतिद्वंद्वी से मुकाबला होने की बात कही तो तैराकी कोच निहार अमीन ने अपने तैराकों को अनुभवहीन कहकर बचाव की मुद्रा अपनाई। पहलवान राजीव तोमर के कोच पीआर सोंढी ने कहा कि राजीव ने मेरी सलाह नहीं मानी।केवल मुक्केबाज अखिल कुमार ने ऐसा कोई बहाना नहीं बनाया। उन्होंने क्वार्टर फाइनल में हार के बाद कहा कि मैं उन लोगों में नहीं हूँ जो आँसू बहाते हैं। यदि मैं जीत का जश्न मना सकता हूँ तो हार स्वीकार करने का दम भी मेरे अंदर होना चाहिए।