प्रवासी साहित्य : महान
- डॉ. परमजीत ओबराय
सुकोमलता है जिनमेंब्राह्याण्डम्बर नहीं जिनमेंमन से निरवैरनियमित है जिनकी सैर।यद्यपि वे हैं साधारणनहीं है कोई उनसा उदाहरणजी में हैं पवित्र विचार जिनकेप्यारे हैं तभी वे सबके।यहां के रत्न हैं वेसब तरह से धनी हैं वेदेख जिन्हें नित आता सम्मानकरते सदा सभी उन्हें प्रणाम।