शनिवार, 27 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. एनआरआई
  3. खास खबर
Written By भाषा
Last Updated :न्यूयॉर्क , बुधवार, 17 सितम्बर 2014 (13:12 IST)

‘एशिया गेम चेंजर’ पुरस्कार के लिए 2 भारतीय नामांकित

‘एशिया गेम चेंजर’ पुरस्कार के लिए 2 भारतीय नामांकित -
एशिया के भविष्य के लिए सकारात्मक योगदान सुनिश्चित करने के लिए शुरू किए गए पहले ‘एशिया गेम चेंजर पुरस्कार’ के लिए नामांकित होने वाली 13 हस्तियों में 2 भारतीयों का नाम भी शामिल किया गया है।
 
प्रमुख शैक्षणिक और सांस्कृतिक संगठन ‘एशिया सोसाइटी’ द्वारा शुरू किया गया यह पुरस्कार 16 अक्टूबर को एक विशेष समारोह में प्रदान किया जाएगा।
 
एमआईटी में ब्रेन एंड कॉग्निटीव साइंसेस के प्रोफेसर पवन सिन्हा और प्रथम चैरिटेबल ट्रस्ट के कार्यकारी अधिकारी और सहसंस्थापक माधव चव्हाण का नाम ‘एशिया गेम चेंजर पुरस्कार’ के लिए नामांकित किया गया है।
 
इनके अलावा पुरस्कार के लिए 11 और हस्तियों का नाम नामांकित किया गया है जिनमें अलीबाबा ग्रुप के अध्यक्ष जैक मा, पाकिस्तानी शिक्षा कार्यकर्ता मलाला युसुफजयी और ऑस्कर विजेता पाकिस्तानी फिल्मकार शरमीन ओबेद-चिनॉय का नाम भी शामिल है।
 
सिन्हा का नामांकन भारत में नेत्रहीनों के लिए सही मायने में सच्चा दृष्टिकोण रखने के लिए किया गया है। चव्हाण को लाखों भारतीयों में शिक्षा के उपहार का प्रसार करने के लिए सम्मानित किया जाएगा।
 
एशिया सोसाइटी के अध्यक्ष जोसेट शीरन ने मंगलवार को बताया कि यह पुरस्कार वैसे लोगों को मान्यता प्रदान करना है जिन्होंने वाकई में विचारों को हकीकत में तब्दील किया है और एशिया में लोगों के जीवन की बेहतरी में योगदान किया है। हमारे आरंभिक सम्मानित जन भौगोलिक और उपलब्धियों की अद्भुत श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करते हैं। 
 
जोसेट शीरन ने बताया कि इन सभी के विचार, उनके जज्बे और इसके प्रभाव में समानता है, चाहे जिस भी तरह से और जैसे भी उन्होंने दुनिया में बदलाव लाने की पहल की।
 
वर्ष 2003 में पवन सिन्हा ने ‘प्रोजेक्ट प्रकाश’ शुरू किया था जिसमें उन्होंने भारत के सुदूर इलाकों और कम सुविधा प्राप्त क्षेत्रों में जाकर सभी बच्चों की आंखों की जांच के लिए नेत्र-चिकित्सा शिविर आयोजित किए और जिनकी नेत्रहीनता दूर की जा सकती थी उनकी पहचान सुनिश्चित की।
 
चव्हाण एक केमिकल इंजीनियर हैं। उन्होंने वर्ष 1995 में ‘प्रथम’ की स्थापना की थी और इस ट्रस्ट ने यूनीसेफ एवं मुंबई के अधिकारियों के साथ मिलकर झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों में जाकर बच्चों तथा पढ़ाई छोड़ चुके किशोरों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया। वंचित तबके के बच्चों में शिक्षा उपलब्ध कराने वाली यह भारत की सबसे बड़ी गैरसरकारी संस्था है।