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Written By WD

क्या है स्पेस शटल?

क्या है स्पेस शटल? -
-प्रियंका पांडे
स्पेस शटल नासा द्वारा निर्मित अभी तक की सबसे जटिल उड़न मशीन है, जिसकी क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस उड़न मशीन की सहायता से मनुष्य ऑर्बिट्री प्रयोगशाला के निर्माण के साथ-साथ चंद्रमा और मंगल व अंतरिक्ष के अन्य क्षेत्रों तक पहुँच सकता है।

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अमेरिका की राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी ‘नासा’ द्वारा चलाए जा रहे स्पेस शटल कार्यक्रम के अन्तर्गत अभी तक करीब सौ अभियान किए जा चुके हैं। नासा द्वारा निर्मित स्पेस शटल का आधिकारिक नाम स्पेस ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (एसटीएस) है, जो अमेरिकी सरकार और नासा के मिले-जुले प्रयासों द्वारा अंतरिक्ष यान के रूप में प्रक्षेपित किया गया है।

इसके ऑर्बिटर में सामान्यतया पाँच से सात अंतरिक्ष यात्री यात्रा कर सकते हैं, जिसकी वहन क्षमता 22,700 किलोग्राम की है।
1960 के दशक में प्रारंभ हुए इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ने अपनी गति 1970 के दशक के बाद ही पकड़ी। स्पेस शटल कार्यक्रम को सर्वप्रथम आधिकारिक तौर पर 5 जुलाई, 1972 के दिन नासा द्वारा प्रक्षेपित किया गया। अभियान के इस चरण की समाप्ति 2010 तक हो जाएगी।

तत्पश्चात ओरियन नामक अंतरिक्ष यान को इसकी जगह अस्तित्व में लाया जाएगा, जो संभवतः 2014 तक निर्मित हो जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य मनुष्यों को चंद्रमा तक पहुँचाना है।

इस कार्यक्रम की संकल्पना इसे स्पेस स्टेशन बनाने की थी जिसे वित्तीय संकट के कारण पूरा नहीं किया जा सका। तत्पश्चात पहला ऑर्बिटर यान बनाया गया जिसका नाम कांस्टीट्यूशन से बदलकर इंटरप्राइज रखा गया, 17 सितंबर, 1976 में व्यवस्थित तरीके से अस्तित्व में आया।

साथ ही पहला शटल ऑर्बिटर कोलंबिया, जो पामडेल कैलिफोर्निया में निर्मित हुआ था, वह 25 मार्च, 1979 में कैनेडी स्पेस सेंटर को सौंप दिया गया। यह अंतरिक्ष शटल 12 अप्रैल, 1981 को यूरी गैगरिन के अंतरिक्ष में पहुँचने की बीसवीं वर्षगाँठ पर अंतरिक्ष में रवाना किया गया था। तत्पश्चात जुलाई 1982 में चैलेंजर नामक दूसरा अंतरिक्ष शटल प्रक्षेपित किया गया। इस सिलसिले को जारी रखते हुए नवंबर, 1983 में डिस्कवरी और अप्रैल, 1985 में अटलांटिस नामक अंतरिक्ष शटल को भी प्रक्षेपित किया गया।

नासा को पहला झटका तब लगा जब 28 जनवरी, 1986 में चैलेंजर नामक अंतरिक्ष शटल उड़ान भरते समय ध्वस्त हुआ जिसमें शटल में सवार सभी 7 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई।

इस हादसे से नासा की साख पर गहरा आघात हुआ जिसकी भरपाई के लिए इंडेवर नामक अंतरिक्ष शटल को प्रक्षेपित किया गया। उसके 17 साल बाद 1 फरवरी, 2003 को इस हादसे की पुनरावृत्ति कोलंबिया अंतरिक्ष शटल के ध्वस्त हो जाने से हुई और एक बार फिर नासा को गहरा झटका लगा। इस दुर्घटना ने भारत में भी शोक की लहर फैला दी क्योकि इस दुर्घटना में भारतीय मूल की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का भी निधन हो गया।

इस प्रकार वर्तमान में नासा के इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में शामिल पाँच अंतरिक्ष शटलों में से अब केवल तीन शटल ही शेष रह गए हैं, जिसमें से अटलांटिस शटल घर वापसी की राह पर है। लगातार आती अड़चनों व मुश्किलों के बावजूद नासा इस अभियान को सकुशल व सफल बनाने के लिए अपनी सारी शक्ति लगा रहा है।