Shardiya navratri 2023 date: कब करें घटस्थापना, घट स्थापना के नियम, आवश्यक सामग्री और विधि
Ghatasthapana 2023 : आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी इस बार 15 अक्टूबर 2023 से शारदीय नवरात्रि के पर्व का प्रारंभ हो रहा है। इस दिन माता दुर्गा के साथ ही घट स्थापना और कलश स्थापना की जाती है। आओ जानते हैं कि कब करें घटस्थापना, घट स्थापना के नियम, आवश्यक सामग्री और घट स्थापना की विधि।
घटस्थापना के नियम | Ghatasthapana ke Niyam :-
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घट स्थापना की प्रक्रिया दोपहर से पहले ही संपन्न करे लें।
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यदि अभिजीत मुहूर्त हो तो उस मुहूर्त में घटस्थापना कर लें।
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यदि मुहूर्त नहीं हो तो शुभ नक्षत्र में घट स्थापना कर लें।
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घट स्थापना के समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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घट स्थापना को पूरी विधि विधान से करना चाहिए।
घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री | Ghatasthapana ki samagri :-
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फूल माला
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लाल वस्त्र
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अक्षत यानी साबूत चावल
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अशोक या आम के पत्ते
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जटा वाला नारियल
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सुपारी और कुंकुम
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कलश, गंगाजल या साफ स्वच्छ पानी
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सप्त धान्य (7 तरह के अनाज)
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मिट्टी का एक बर्तन
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पवित्र स्थान की मिट्टी
घट स्थापना कैसे की जाती है | Ghatasthapana kaise kare
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घट अर्थात मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है।
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घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें। फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें। इस तरह उपर तक पात्र को मिट्टी से भर दें। अब इस पात्र को स्थापित करके पूजन करें।
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जहां घट स्थापित करना है वहां एक पाट रखें और उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर फिर उस पर घट स्थापित करें। घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं। घट के गले में मौली बांधे।
कलश स्थापना विधि | Kalash Sthapana Vidhi
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एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर नाड़ा बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र अर्थात घट के उपर रखें। अब कलश के ऊपर पत्ते रखें, पत्तों के बीच में नाड़ा बंधा हुआ नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें।
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अब घट और कलश की पूजा करें। फल, मिठाई, प्रसाद आदि घट के आसपास रखें। इसके बाद गणेश वंदना करें और फिर देवी का आह्वान करें।
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अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि 'हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।'
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आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें।