नई दिल्ली। सरकार ने कार्पोरेट गवर्नेस के नियमों एवं प्रक्रियाओं को मजबूत बनाने की दिशा में उठाए जा रहे कदमों को और सख्त बनाते हुए इसके लिए आज कई निर्णय लिए, जिनमें पंजीयन रद्द की जा चुकी कंपनियों के कोई भी निदेशक या अधिकृत व्यक्ति बैंक से धनराशि निकालता है तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कंपनी मामलों के राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने 2 लाख से अधिक फर्जी कंपनियों के पंजीयन रद्द किए जाने के मद्देनजर यहां कार्पोरेट गवर्नेस की समीक्षा की, जिनमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इनमें यह फैसला भी शामिल है कि जिन कंपनियों का पंजीयन रद्द किया गया है, उनके कोई निदेशक या अधिकृत व्यक्ति बैंक खाते से अनधिकृत तरीके से धनराशि निकालने की कोशिश करेगा तो उसे जेल की सजा होगी, जो छह महीने से 10 वर्ष तक की हो सकती है।
यदि यह पाया जाता है कि जनहित को नजरअंदाज कर धोखाधड़ी की जाती है तो कम से कम तीन वर्ष के कारावास की सजा होगी और जितनी राशि निकालने की कोशिश की जाएगी उसका तीन गुना जुर्माना किया जाएगा।
वित्तीय सेवाएं विभाग ने पंजीयन रद्द की गई कंपनियों को लेकर कल कुछ दिशा-निर्देश जारी किए, जिसमें कहा गया था कि निदेशक (पूर्व) या उसके अधिकृत व्यक्तियों को इस तरह की कंपनियों के खाते से धनराशि निकासी करने पर रोक लगा दी गई है तथा अब वे इन कंपनियों के खाते से धनराशि नहीं निकाल सकते हैं। हालांकि यह भी कहा गया था कि इस तरह की कंपनियों के खाते से इस कार्रवाई से पहले भी धनराशि निकासी की गई है तो उनके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
चौधरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिए गए कि पंजीयन रद्द की गई ऐसी कंपनियां जिसने तीन वर्ष या इससे अधिक समय से रिटर्न दाखिल नहीं कर रही है, उनके निदेशकों को किसी भी दूसरी कंपनी में निदेशक के पद पर या जहां वे पहले निदेशक रह चुके हैं, दोबारा उस पर नियुक्ति के योग्य नहीं माने जाएंगे।
इसके मद्देनजर उन्हें कंपनी छोड़ना होगा। इस निर्णय से कम से कम दो से तीन लाख अयोग्य निदेशकों को किसी भी कंपनी से जुड़ने से वंचित किया जा सकेगा। पंजीयन रद्द कंपनियों के बैंक खातों के परिचालन पर रोक लगाने के साथ ही इन कंपनियों के निदेशकों पर भी कार्रवाई की जा रही है ताकि सही लाभार्थियों और इन कंपनियों के संचालन में जिनका हाथ है उनके बारे में पता लगाया जा सके।
सतर्कता एजेंसियों के साथ मिलकर इन कंपनियों के निदेशकों के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करने के साथ ही कंपनियों में उनकी भागीदारी आदि के बारे में तथ्य जुटाए जाएंगे। इसके साथ ही और फर्जी कंपनियों की पहचान की जा रही है।
इसके अतिरिक्त इन कंपनियों से जुड़े और उनकी अवैध गतिविधियों में शामिल प्रोफेशनलों, चार्टर्ड अकाउंटेटों, कंपनी सचिवों और कॉस्ट अकांउटेंटों की पहचान की गई है और उनके विरुद्ध आईसीएआई, आईसीएसआई और आईसीएओआई द्वारा की जा रही कार्रवाई की निगरानी की जा रही है।
चौधरी ने कहा कि फर्जी कंपनियों के पंजीयन रद्द करने की कार्रवाई से न सिर्फ कालेधन से निपटने में मदद मिलेगी बल्कि सरल कारोबारी माहौल बनाने में भी सहायता होगी। इससे निवेशकों को भरोसा भी बढ़ेगा, जिसके प्रति सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने संदिग्ध लेनदेन के मामले में दो लाख से ज्यादा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनका पंजीकरण रद्द कर उनके बैंक खातों से लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया। कंपनी कानून के तहत रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास पंजीकृत 2 लाख नौ हजार 32 कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया गया है।
इसके साथ ही इन कंपनियों के निदेशक अब उनके पूर्व निदेशक हो गए हैं। साथ ही इन कंपनियों के बैंक खातों के प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता अब पूर्व हस्ताक्षरकर्ता हो गए हैं। मंत्रालय ने बताया कि ये पूर्व निदेशक और पूर्व प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता तब तक कंपनियों के खातों का संचालन नहीं कर पाएंगे, जब तक कंपनी कानून की धारा 252 के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण के आदेश पर इन कंपनियों को कानूनी रूप से पुनर्स्थापित नहीं कर लिया जाता। इसके बाद ये कंपनियाँ सक्रिय कंपनियों की सूची में आ जाएंगी।
वित्तीय सेवा विभाग ने भारतीय बैंक संघ के माध्यम से सभी बैंकों को इन कंपनियों के खातों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की सलाह दी है। इन कंपनियों की सूची कंपनी मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर अपडेट कर दी गई है। (वार्ता)