शुक्रवार, 15 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. samajwadi party controversy
Written By
Last Updated : शनिवार, 31 दिसंबर 2016 (18:34 IST)

...तो यह है यादव कुनबे की कलह की वजह

...तो यह है यादव कुनबे की कलह की वजह - samajwadi party controversy
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी में जारी लड़ाई की जड़ तक कोई नहीं पहुंच पा रहा है। आखिर इस लड़ाई की वजह क्या है? क्या यह जंग महत्वाकांक्षा की है, पद की है या फिर वर्चस्व की या फिर कोई और कारण है। राजनीति के जानकार अपने गुणा-भाग में लगे हैं। लेकिन, राहुल कंवल के एक ट्‍वीट ने इस मामले की धुंध छांटने की कोशिश की है। 
एक ट्‍वीट में राहुल ने खुलासा किया है यह पूरा ड्रामा अखिलेश यादव की छवि चमकाने के लिए रचा गया है और हर पात्र को अपनी भूमिका का पहले से पता था। ट्‍वीट के मुताबिक राहुल के अमेरिकी सलाहकार स्टीव जार्डिंग की मेल लीक हो गई है, जिसमें दावा किया गया है कि समाजवादी पार्टी नाटक कर रही है।

यदि यह बात पूरी तरह सच भी नहीं है तो इसे पूरी तरह झुठलाया भी नहीं जा सकता। इस बात को इससे भी बल मिलता है कि अखिलेश यादव ने मुलायम के खिलाफ बागी तेवर अपनाते हुए बैठक आयोजित की थी, जिसमें 200 से ज्यादा विधायक पहुंच गए थे, जबकि दूसरी ओर मुलायम की बैठक में मात्र 15 विधायक ही पहुंचे थे। 
 
हालांकि बाद में सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान ने बाप-बेटों के बीच मध्यस्थता कर बातचीत कराई और सुलह का रास्ता साफ किया। इसके बाद दोनों के बीच तय हुआ कि पुरानी सूचियां रद्द कर दी जाएंगी और फिर से नई सूची जारी की जाएगी। इस बैठक में सपा महा‍सचिव अमरसिंह को भी बाहर रास्ता दिखाने पर भी चर्चा हुई थी, लेकिन इस बारे में कोई फैसला नहीं हो पाया। राजद सुप्रीमो और मुलायम के समधी लालू यादव ने मुलायम और अखिलेश के बीच समझौता कराने में अहम भूमिका निभाई थी।

30 दिसंबर को जिन अखिलेश यादव को नोटिस के जवाब का इंतजार किए बिना ही आनन-फानन में छ: साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया था, उनका निष्कासन छोटी-सी बातचीत के बाद रद्द कर दिया गया। रामगोपाल यादव को भी एक बार फिर पार्टी में वापस ले लिया गया। 
 
इस पूरे ड्रामे की पटकथाकार कौन है, इसका खुलासा तो नहीं हो पाया है, लेकिन इस सबके पीछे जो बड़ा कारण सामने आया है उसके मुताबिक मुलायम चाहते हैं कि अखिलेश की ताजपोशी सपा अध्यक्ष के रूप में हो जाए। यदि ऐसा होता है कि तो भविष्य में पार्टी के भीतर उनके वर्चस्व को कोई चुनौती नहीं दे पाएगा। मुलायम संरक्षक की भूमिका में आ जाएंगे। इससे अखिलेश समर्थकों में नई ऊर्जा का संचार होगा साथ मुलायम समर्थक भी नाराज नहीं होंगे।

जहां तक शिवपाल यादव का सवाल है, या तो उन्हें मना लिया जाएगा या फिर पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है। रही बात अमरसिंह की तो उन्हें किसी भी समय पार्टी से निकाला जा सकता है। अमरसिंह को आजम खान और रामगोपाल यादव भी बिलकुल पसंद नहीं करते। बाप-बेटे के शक्ति परीक्षण को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें अखिलेश मुलायम पर 'सवासेर' ही साबित हुए।
 
इस पूरे ड्रामे का पटाक्षेप संभव है कि अखिलेश की सपा प्रमुख के रूप ताजपोशी के बाद हो जाए, लेकिन एक बात तय है कि इस पूरी लड़ाई का मतदाताओं में जरूर नकारात्मक संदेश गया है। इसका खामियाजा भी पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। 
ये भी पढ़ें
नोटबंदी : लोकायुक्त ने जब्त 1.61 करोड़ की कराई एफडी