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Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 26 जनवरी 2017 (16:49 IST)

राजपथ पर दिखी सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विरासत

राजपथ पर दिखी सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विरासत - republic day parade on Rajpath
नई दिल्ली। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और देशभक्ति के जज्बे से लबरेज माहौल में अड़सठवें गणतंत्र दिवस के मौके पर आज राजपथ पर देश की सैन्य ताकत, वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी उपलब्धियों तथा समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की अद्भुत झलक देखने को मिली।
 
हल्की बूंदाबांदी के बीच डेढ़ घंटे चले मुख्य समारोह कुल 23 झाकियां, सैन्य बलों, अर्धसैनिक बलों, एनसीसी, एनएसएस तथा एनएसजी के 15 मार्चिंग दस्ते, संयुक्त अरब अमीरात का एक मार्चिंग दस्ता तथा उनके बैंडों ने हिस्सा लिया। साथ ही स्कूली बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये। लेकिन, सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र फ्लाई पास्ट और परेड के अंत में वायु सेना के विमानों तथा मोटरसाइकिल पर कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस के 'श्वेत अश्व' के हैरतंगेज कर देने वाले कारनामे रहे।
 
समारोह की शुरुआत इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि दी। इसके बाद प्रधानमंत्री ने सलामी मंच पर आकर तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी तथा आबूधाबी के युवराज एवं संयुक्त अरब अमीरात की सशस्त्र सेनाओं के डिप्टी सुप्रीम कमांडर मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की अगवानी की जो इस साल समारोह के मुख्य अतिथि भी थे। झंडोत्तोलन और 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रधुन की तरंगों पर सुबह 10 परेड शुरू हो गई।
 
दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल एम.एम. नरवाने परेड कमांडर तथा दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल राजेश सहाय परेड के सेकेंड इन कमांड थे। परेड का समापन आठ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद लाल किले पर हुआ जहाँ 26 से 31 जनवरी तक भारत पर्व मनाया जा रहा है। सभी झाँकियां लोगों के दिखने के लिए इस दौरान लाल किले पर ही रखी जाएंगी। 
 
राजधानी में आज मौसम सुहावना बना रहा। आसमान में बादल छाये रहे और हल्की बूंदाबांदी भी हुई लेकिन इससे परेड पर कोई असर नहीं पड़ा। लोगों ने मौसम का लुत्फ उठाते हुए पूरे उत्साह के साथ परेड का आनंद लिया। इस दौरान सलामी मंच की दोनों तरफ विशिष्ट अतिथियों की दर्शकदीर्घाओं में छाते भी निकल आए, लेकिन परेड के दौरान कभी ऐसी बारिश नहीं हुई कि समारोह में खलल पड़ सके। हालांकि, इंद्रदेव भी जैसे परेड समाप्त होने का इंतजार कर रहे थे क्योंकि परेड के बाद ल्युटियन दिल्ली में जमकर बारिश हुई।
 
थल सेना के छह मार्चिंग दस्तों तथा छह बैंडों, नौसेना के एक-एक बैंड और मार्चिंग दस्ते तथा एक झाँकी और वायु सेना के मार्चिंग दस्ते, बैंड तथा वाहनों की एक टुकड़ी ने परेड में हिस्सा लिया। इसके अलावा बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ तथा दिल्ली पुलिस के एक-एक बैंड और मार्चिंग दस्ते, तटरक्षक बल का एक मार्चिंग दस्ता तथा एनसीसी के बालकों और बालिकाओं का एक-एक मार्चिंग दस्ता भी परेड में शामिल हुआ।
 
आरंभ में सेना के रुद्र और ध्रुव हेलीकॉप्टरों ने एक ओर जहाँ दर्शकों का ध्यान खींचा तो परेड और फ्लाई पास्ट का समापन बिल्कुल अचंभित कर देने वाला रहा। इसमें पहले एमआई-35 हेलीकॉप्टरों, उसके बाद सी-130 सुपर हरक्यूलिस विमानों, एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम विमान, सुखोई-30, तेजस और जगुआर विमानों ने विभिन्न तरह के फॉर्मेशन फ्लाइंग करके लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
 
इसके बाद दर्शकों ने जो देखा वह वाकई अविश्वसनीय था। तीन सुखोई-30 एमकेआई विमान सलामी मंच के सामने आकर अचानक अलग-अलग दिशाओं में मुड़कर बादलों के बीच गायब हो गए। इसके बाद 900 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से फ्लाई पास्ट का अंतिम विमान सुखोई-30 एमकेआई सलामी मंच के सामने आकर अचानक हवा में घूमता हुआ ऊपर की ओर मुड़ा और सीधे ऊपर, और ऊपर बादलों को चीरता हुआ आसमान में निकल गया। फ्लाई पास्ट समाप्त हो चुका था, लेकिन दर्शकों की निगाहें अभी भी आसमान की ओर लगी हुई थीं।
 
देश में ही बनी धनुष तोप ने भी राजपथ के दाेनों ओर मौजूद दर्शकों और अतिथियों की तालियाँ बटोरी। धनुष को पहली बार सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित किया गया है। इसे भारतीय सेना के लिए काफी अहम माना जा रहा है क्‍योंकि बोफोर्स तोप के बाद सेना को मिलने वाली यह पहली बड़ी तोप है। टी-90 टैंक, आकाश और ब्रह्मोस मिसाइल, सीबीआरएन यानी कैमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लिअर रेडिएशन डिटेक्शन मशीन भी राजपथ पर नज़र आए।
 
वायु सेना की स्वदेशी ताकत का प्रतीक लड़ाकू विमान तेजस भी पहली बार गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बना। लगभग दो दशक के अंतराल के बाद यह दूसरा मौका है जब कोई स्वदेशी लड़ाकू विमान राजपथ पर वायु सेना की स्वदेशी ताकत राजपथ पर दिखी। है। इससे पहले 1980 के दशक में स्वदेशी लड़ाकू विमान मारुत ने गणतंत्र दिवस परेड के मौके पर फ्लाई पास्ट में अपने जौहर दिखाए थे।
 
हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया तेजस ऑटो पायलट सुविधा के साथ घातक मिसाइलों, बमों और अन्य हथियारों से लैस अत्याधुनिक विमान है। फ्लाई पास्ट के लिए तीन तेजस विमानों ने बीकानेर के निकट नाल हवाई पट्टी से उड़ान भरी थी।
 
परेड कमांडर और सेकेंड इन कमांड के बाद सबसे पहले अतिथि देश संयुक्त अरब अमीरात का मार्चिंग दस्ता और उसका बैंड सलामी मंच से गुजरा। इसके बाद 61 कैवलरी के अश्वारोहियों का दस्ता था। इसके पीछे थल सेना की तोपों, मिसाइलों और रडार आदि का दस्ता रहा।
 
इस बीच सेना के रुद्र एवं ध्रुव हेलिकॉप्टरों ने हवा में फ्लाई पास्ट की शुरुआत की। इसके बाद एक-एक कर तीनों सेनाओं के दस्तों ने राजपथ पर आगे बढ़ते हुए राष्ट्रध्वज और राष्ट्रपति को सलामी दी।
 
वायु सेना के दस्ते का नेतृत्व स्क्वॉड्रन लीडर अटल सिंह शेखों ने किया। वायु सेना की झांकी का थीम इस बार महिला पायलटों को लड़ाकू भूमिका में शामिल करने और वायु सेना के प्रौद्योगिकी केन्द्रीत नेटवर्क पर आधारित था। नौसेना की झांकी का थीम, 'भारतीय नौसेना - पेशेवर बल - स्थिरता, सुरक्षा और राष्ट्रीय स्मृद्धि का स्तंभ' था। इसमें अत्याधुनिक युद्धपोत के साथ-साथ नौसेना के बेड़े में जल्द ही शामिल की जाने वाली स्वदेशी घातक पनडुब्बी कलवरी और नौसेना के मार्को कमांडो को दर्शाया गया था।
 
नौसेना के मार्चिंग दस्ते का नेतृत्व महिला अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर अर्पणा नायर ने किया। यह तीसरा मौका है जब राजपथ पर नौसेना की परेड का नेतृत्व नारी शक्ति ने किया है। उनके साथ लेफ्टिनेंट एम. कुलकर्णी, लेफ्टिनेंट वासु यादव और लेफ्टिनेंट तनु पलाटून कमांडर के रूप में थीं। नौसेना के बैंड को लोगों ने खासा पसंद किया। इसका नेतृत्व मास्टर चीफ पेटी ऑफिसर रमेश चंद ने किया। यह लगातार 28वाँ वर्ष है जब वह नौसेना के बैंड का हिस्सा रहे और 19 वीं बार उन्होंने इसका नेतृत्व किया।
 
अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की रक्षा करने वाले राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से नवाजे गए 25 बहादुर बच्चों की सवारी भी परेड का बड़ा आकर्षण रही। इस बार चार बच्चों को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया गया है।
 
ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, गुजरात, लक्षद्वीप, कर्नाटक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु, गोवा, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर, असम के अलावा सीबीईसी की ओर से 'जीएसटी', सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय द्वारा 'खादी इंडिया', आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय की ओर से 'सभी के लिए आवास', वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), सीपीडब्ल्यूडी की ओर से 'ग्रीन इंडिया-क्लीन इंडिया', कौशल विकास मंत्रालय की ओर से ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया थ्रू स्किल डेवलपमेंट थीम की झाँकियाँ देखने को मिलीं।
 
मुखर्जी ने सभी मार्चिंग दस्तों और बैंडों की सलामी स्वीकार की। उन्होंने खड़े होकर हाथ हिलाकर हरेक झाँकी का अभिवादन भी किया। तीन वर्ष के बाद इस बार दिल्लीवासियों को राजधानी की झांकी भी देखने को मिली। इसमें शिक्षा क्षेत्र में सुधार के साथ-साथ निजी स्कूलों की तर्ज पर तैयार किए जा रहे मॉडल स्कूलों के स्वरूप को दर्शाया गया। झांकी में एक सामान्य राजकीय विद्यालय के मॉडल विद्यालय में कायाकल्प होने की कहानी को दिखाने का प्रयास किया गया था। (वार्ता)