मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
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नोटबंदी पर जनमत भाजपा के साथ

नोटबंदी पर जनमत भाजपा के साथ - Peoples are with BJP on Demonetisation
सारे आकलन और कयास पीछे छूट गए हैं। कमल की आंधी का गुबार थमने में अभी वक्त लगेगा। पर एक सवाल का जवाब जनता ने दे दिया है – नोटबंदी के दुस्साहस ने भाजपा को राजनीतिक फायदा ही पहुँचाया है। इसके पहले के निकाय चुनावों को जिन लोगों ने नोटबंदी पर मुहर नहीं माना था उनके पास अब कोई तर्क नहीं बचे हैं।
 
भाजपा और उत्तराखंड के प्रचंड बहुमत ने ये साबित कर दिया है कि भाजपा को नोटबंदी से कोई नुकसान नहीं बल्कि फयदा ही हुआ है। जो ये मानते हैं कि नोटबंदी कोई मुद्दा ही नहीं था वो कुतर्क कर रहे हैं। अगर ऐसा नहीं था तो राहुल और मायावती क्यों जगह-जगह नोटबंदी का ढिंढोरा पीट रहे थे? रही बात पंजाब की तो ऐसा नहीं है कि वहाँ वोट नोट्बंदी के खिलाफ गया, वहाँ वोट अकाली-भाजपा की सरकार के विरोध में पड़ा है। 
 
नोटबंदी को लेकर सभी विपक्षी दलों ने विरोध जाहिर किया था और राहुल गांधी, अखिलेश और मायावती ने अपने चुनावी भाषणों में नोटबंदी के परिणामों को लेकर शंका जाहिर की थी। लेकिन इस प्रचंड बहुमत ने सिद्ध कर दिया कि लोग नोटबंदी को लेकर ज्यादा संवेदनशील नहीं थे। यहां एक बात गौर करने की है कि आधा भारत बैंकों और अन्य हरसंभव जगह पर लाइन में खड़ा था मगर लोग कष्ट में रहते हुए भी सरकार के इस कदम का खुले मन से समर्थन कर रहे थे। ऐसा नहीं है कि भाजपा समर्थकों को तकलीफ नहीं हुई और काला धन सिर्फ गैर भाजपाइयों के ही पास रहा होगा, मगर भाजपाई दम घोंटकर भी सरकार की तारीफ करने पर मजबूर हैं। 
 
आम भारतीय के कष्टों के रहते हुए भी सरकार के साथ सहयोगात्मक रवैये का सबसे मुख्य कारण सिर्फ यह है कि उन्हें अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर लेशमात्र भी संदेह नहीं है। देश में व्याप्त सबसे बड़ी ‘भ्रष्टाचार की बीमारी’ का ‘कड़वा इलाज’ जानकर इस सर्जिकल स्ट्राइक का समर्थन सभी कर रहे हैं। मोदी के प्रबलतम विरोधी राजनीतिक दल और नेता भी जनता की इस भावना को समझ कर इस कदम का विरोध मुखर रूप से नहीं करने को लाचार हैं।
 
नोटबंदी के करीब दो महीने बीत जाने के बाद केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने नोटबंदी के कदम की सराहना करते हुए इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया है। उन्होंने कहा कि ऐसे कदम के लिए दूरदर्शी नेतृत्व जरूरी है, जो अब भाजपा ने दिया है। सीतारमण ने कहा कि नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन कदमों की घोषणा की वे दलितों, जनजातीय लोगों और महिलाओं की परेशानियों को देखते हुए की गई थीं।
 
उन्होंने कहा कि हमने काले धन वाले खातों की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की और कितने लोगों ने कितना काला धन जमा किया हुआ है, इस जानकारी के लिए कई देशों के साथ संधियों को दोबारा लिखा और उन पर फिर से हस्ताक्षर किए।' सीतारमण ने ‘बेनामी संपत्ति जब्ती अधिनियम, 1988 के बारे में कहा कि पूर्व सरकारों ने इसे कभी अधिसूचित नहीं किया था। उम्मीद की जाती है कि भाजपा की सरकार जल्द ही भविष्य में इन मामलों में निर्णायक कार्रवाई की ओर जा सकती है।