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Last Modified: मंगलवार, 28 जून 2022 (17:18 IST)

संसद भवन में बंदरों को भगाने के लिए 4 लोगों की नियुक्ति, लंगूर की आवाज निकालेंगे

संसद भवन में बंदरों को भगाने के लिए 4 लोगों की नियुक्ति, लंगूर की आवाज निकालेंगे parliament appoints 4 people to drive away monkeys - parliament appoints 4 people to drive away monkeys
नई दिल्ली। संसद भवन में बंदरों द्वारा अफरा-तफरी मचाए जाने की खबरें कई बार सामने आ चुकी हैं। पहले इन बंदरों को भगाने के लिए कथित तौर पर लंगूर को रखा जाता था। लेकिन, अब इस पर वन मंत्रालय ने प्रतिबंध लगा दिया है। इसलिए अब बंदरों को भगाने के लिए कुछ लोगों को रखा गया है, जो बंदरों की आवाज निकालने और अन्य परंपरागत तरीकों की मदद से बंदरों को भगाने का कार्य करेंगे। 
 
एक बार फिर संसद भवन में बंदरों के बढ़ते आतंक की खबरें सामने आई हैं, जिन्हे भगाने के लिए संसद भवन की ओर से कुछ फुर्तीले श्रमिकों को नौकरी पर रखा गया है। भवन परिसर में उत्पात मचाने वाले इन बंदरों को भगाने के लिए अब ऐसे 4 लोगों को नियुक्त किया गया है जो कई तरीकों से बंदरों को भगाएंगे। संसद के सुरक्षा सेवा पत्र 2022 के मुताबिक आजकल संसद भवन परिसर में ढ़ेरों बंदर उछल-कूद करते रहते हैं। इसका कारण संसद भवन कर्मियों द्वारा खाने-पीने की बची हुई चीजों का खुले में फेंका जाना है, जिससे चूहे, बिल्लियां और बंदर भारी मात्रा में आकर्षित होते हैं। संसद प्रबंधन कमेटी से संबंधित सभी पक्षों से सुझाव लेने के बाद बंदरों को नियंत्रित करने के लिए संसद सुरक्षा सेवा ने 4 लोगों को नौकरी पर रख लिया है। 
 
कुशल श्रमिकों को मिलेंगे 17,990 प्रतिमाह:
इनमें से एक कर्मी के अनुसार पहले बंदरों को भगाने के लिए लंगूर को रखा जाता था, जिसे देखकर बंदर भाग जाया करते थे। लेकिन, अब यह प्रतिबंधित है। इसलिए मेरे अलावा 3 और लोगों को बंदरों को भगाने के काम के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है। वेतन पूछे जाने पर कर्मी ने बताया कि बंदरों को भगाने के लिए दो तरह के कर्मियों को रखा जाता है - कुशल कर्मी और अकुशल कर्मी। कुशल कर्मियों को प्रतिमाह 17,990 रुपए और अकुशल कर्मियों को 14,900 रुपए प्रतिमाह दिया जाता है। 
 
पहले भी नियुक्त किए गए थे 40 'मंकीमैन':
संसद भवन के बंदरों को भगाने के लिए श्रमिकों की नियुक्ति कोई नई बात नहीं है। इसके पहले भी 2014 में सरकार की ओर से बंदरों के आतंक को खत्म करने के लिए 40 लोगों को नौकरी दी गई थी, जो लंगूर की पोशाक पहनकर बंदरों को भगाते थे। इसके अलावा एक अन्य शासकीय ऑफिस में इस काम के लिए रबड़ बुलेट गन भी खरीदी गई थी, जिनकी मार ज्यादा जोर से नहीं पड़ती थी, लेकिन बंदर इससे डरकर भाग जाया करते थे। 
 
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