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Last Modified: लखनऊ , मंगलवार, 10 जनवरी 2017 (19:08 IST)

मुला‍यमियत के बाद भी नहीं बनी अखिलेश और मुलायम में बात

मुला‍यमियत के बाद भी नहीं बनी अखिलेश और मुलायम में बात - Mulayam Singh Yadav, Samajwadi Party, regional news in Hind
लखनऊ। उत्तरप्रदेश के ‘समाजवादी परिवार’में जारी घमासान में दिखी ‘मुलायमियत’के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और चुनाव आयोग में अपने मुकाबिल खड़े अपने पिता सपा संस्थापक मुलायमसिंह यादव से मुलाकात की लेकिन संकट दूर होने की कोई स्थिति फिर नहीं बन सकी।
सपा के अगले मुख्यमंत्री पद के लिए मुलायम द्वारा कल यूटर्न लिए जाने के बाद उनकी अखिलेश के साथ करीब 90 मिनट तक बैठक हुई। अखिलेश अपने पिता के बुलावे पर घर से सटे उनके घर पहुंचे। इस बैठक को सपा में सुलह-समझौते के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा था, लेकिन सूत्रों के मुताबिक दोनों के बीच बात नहीं बन सकी।
 
बैठक के बाद अखिलेश मीडिया के सवालों का जवाब दिए बगैर चुपचाप अपने आवास चले गये। सूत्रों के मुताबिक बैठक में मुलायम ने अखिलेश से पार्टी के चुनाव निशान ‘साइकल’ पर दावे के सिलसिले में चुनाव आयोग को दिए गए अपना प्रतिवेदन को वापस लेने और राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ने की शर्त रखी, मगर बात नहीं बन पाई।
 
माना जा रहा है कि अखिलेश मुलायम की शर्ते मानने के लिए इसलिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें अपने पिता के करीबियों यानी पार्टी महासचिव अमरसिंह और मुलायम के भाई शिवपाल यादव पर कतई विश्वास नहीं है। अगर अखिलेश ने अध्यक्ष पद त्याग दिया तो मुलायम अध्यक्ष होने के नाते उनके फैसलों को पलट सकते हैं।
 
इस प्रकरण से जुड़े एक घटनाक्रम में चुनाव आयोग ने पार्टी के चुनाव चिन्ह पर सपा के दोनों गुटों द्वारा दायर प्रतिवेदन पर सुनवाई की तारीख 13 जनवरी नियत की। माना जा रहा है कि जिस गुट के पास 51 प्रतिशत विधायकों तथा अन्य जनप्रतिनिधियों का समर्थन होगा, उसका पलड़ा भारी रहेगा।
 
सपा संस्थापक मुलायम ने कल उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनने की स्थिति में मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर अपना रुख बदलते हुए कहा था कि अखिलेश ही अगले मुख्यमंत्री होंगे। उसके बाद से सपा में सुलह की उम्मीदें जागी थीं।
 
सपा में दो फाड़ के बाद चुनाव चिहन ‘साइकल’ पर दावेदारी को लेकर चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखने के लिए दिल्ली गये मुलायम ने कल रात को लखनऊ लौटने के बाद से कहा कि अगला मुख्यमंत्री अखिलेश ही बनेगा। 
 
इस सवाल पर कि अखिलेश को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाए जाने को लेकर कुछ भ्रम पैदा हो गया है, उन्होंने कहा भ्रम तो अपने आप फैल गया। भ्रम तो अपने आप ही खत्म हो रहा है। अगला मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही बनेगा।
 
सपा में वर्चस्व की लड़ाई के बीच मुलायम का यह बयान बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वे पूर्व में कई बार कह चुके हैं कि सपा के अगले मुख्यमंत्री का चुनाव सपा के चुने हुए विधायक ही करेंगे, लेकिन इस बार उन्होंने अखिलेश के नाम पर मुहर लगा दी है।
 
मुलायम ने कहा था कि हमारी पार्टी एक है। हमारी पार्टी टूटने का सवाल नहीं है। पार्टी में एक ही व्यक्ति गड़बड़ कर रहा है। परसों तक सपा में कोई सुलह-समझौते की सम्भावनाओं के दरवाजे बंद करने वाले मुलायम ने सब कुछ ठीक करने की दिशा में पहल करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश को मुलाकात के लिए बुलाया था।
 
मुलायम ने परसों दिल्ली में कहा था कि वे अब भी सपा के अध्यक्ष हैं जबकि अखिलेश प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। साथ ही शिवपाल यादव सपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। मालूम हो कि गत 1 जनवरी को सपा के विवादित राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था, जबकि मुलायम को पार्टी का ‘सर्वोच्च रहनुमा’ का पद दिया गया था। 
 
इसके अलावा सपा महासचिव अमरसिंह को पार्टी से निष्कासित करने तथा शिवपाल को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का निर्णय भी लिया गया था। मुलायम ने इस सम्मेलन को असंवैधानिक घोषित करते हुए इसमें लिये गये तमाम फैसलों को अवैध ठहराया था। (भाषा)
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