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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: मंगलवार, 19 अक्टूबर 2021 (17:02 IST)

खौफजदा प्रवासी मजदूरों को सेना और पुलिस कैंपों में मिली शरण, मकान मालिकों ने भी दिया आश्वासन

खौफजदा प्रवासी मजदूरों को सेना और पुलिस कैंपों में मिली शरण, मकान मालिकों ने भी दिया आश्वासन - J&K : Terrified migrant laborers got shelter in army and police camps, landlords also assured
जम्मू। प्रवासी नागरिकों को निशाना बनाए जाने के बाद आतंकी गुटों द्वारा उनके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन्हें जो कश्मीर छोड़ देने की धमकी दी गई उसका परिणाम सामने है। हजारों प्रवासी नागरिक कश्मीर से भाग निकले हैं। वहीं, हजारों लोगों को सेना, पुलिस इत्यादि ने सुरक्षित कैंपों में शरण दी है। हालांकि कुछ लोगों को अपने उन मकान मालिकों से सुरक्षा का आश्वासन जरूर मिला है, जहां वे किराए पर रह रहे हैं।
 
कश्मीर में तकरीबन साढ़े तीन लाख प्रवासी नागरिक हैं। इनमें से कई पिछले 10 से 15 सालों से भी रह रहे हैं। 5 अगस्त 2019 को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के बाद सभी घरों को भाग गए थे। तब उनका पलायन सरकारी था क्योंकि सरकार को आशंका थी कि धारा 370 हटाए जाने पर कश्मीर में आग भड़क उठेगी और ये प्रवासी नागरिक उसका नर्म निशाना हो सकते हैं।
 
वक्त के साथ साथ इनका लौटना आरंभ तो हुआ पर पिछले दो से तीन महीनों के भीतर उन्हें पुनः निशाना बनाए जाने लगा। कश्मीर में 30 सालों से फैले आतंकवाद के इतिहास में कई बार आतंकियों ने प्रवासी श्रमिकों को सामूहिक तौर पर निशाना बनाया था। पर यह पहली बार था कि उन्होंने राजधानी शहर श्रीनगर में उन्हें टारगेट किलिंग का निशाना बना यह संदेश देने की कोशिश की कि वे जहां चाहे वहां मार कर सकते हैं।
 
तीस सालों के आतंकवाद के दौरान प्रवासी नागरिकों को कश्मीर से कितनी बार भागना पड़ा है, यह गिनती भी लोग भूल गए हैं। लेकिन कश्मीरी नागरिक इसे नहीं भूल पाते हैं। प्रवासियों श्रमिकों के वापस अपने घरों को लौट जाने के कारण उन्हें परेशानियों और दुश्वारियों के दौर से गुजरना पड़ा है और कश्मीर में सभी विकास गतिविधियां उनके पलायन कर जाने से रुक जाती हैं। 
 
इस बार भी उनके घरों को लौटने के तेज होते क्रम से आम कश्मीरी परेशान है। उद्योगों पर भी उनका प्रभाव नजर आने लगा है। यही कारण था कि कुछ लोगों को अपने स्वार्थ के लिए कई कश्मीरी व्यापारी, उद्योगपति और मकान मालिक उन्हें सुरक्षा का आश्वासन देते हुए रोक पाने में कामयाब तो हुए हैं पर वे अब अपनी सुरक्षा को लेकर खुद दहशतजदा हो गए हैं क्योंकि आतंकी गुट यह चेतावनी दे रहे हैं कि प्रवासी नागरिकों को शरण देने वालों को भी अंजाम भुगतना होगा।
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