रविवार, 22 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. india rejects china claim on galwan valley says no compromise on sovereignty and integrity of country
Written By
Last Modified: शुक्रवार, 19 जून 2020 (00:39 IST)

भारत ने गलवान घाटी पर चीन के दावे को ठुकराया, कहा- देश की संप्रभुता और अखंडता से कोई समझौता नहीं

भारत ने गलवान घाटी पर चीन के दावे को ठुकराया, कहा- देश की संप्रभुता और अखंडता से कोई समझौता नहीं - india rejects china claim on galwan valley says no compromise on sovereignty and integrity of country
नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार को चीन से अपनी गतिविधियों को वास्तविक नियंत्रण रेखा के उसके अपने क्षेत्र तक ही सीमित रखने को कहा तथा पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी पर चीनी सेना के सम्प्रभुता के दावे को ‘अमान्य’ और ‘बढ़ा-चढ़ाकर’ बताया गया कहकर खारिज कर दिया।
 
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। इस सैन्य टकराव के कारण दोनों देशों के बीच क्षेत्र में सीमा पर पहले से ही तनावपूर्ण हालात और खराब हो गए।
 
गलवान घाटी की हिंसक झड़प का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा था कि भारत शांति चाहता है, लेकिन अगर उकसाया गया तो मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है।
 
श्रीवास्तव ने कहा कि सीमा प्रबंधन पर जिम्मेदाराना रुख के साथ भारत का बहुत स्पष्ट मत है कि उसकी सभी गतिविधियां हमेशा एलएसी के इस ओर होती हैं। हम चीनी पक्ष से अपेक्षा करते हैं कि वह भी अपनी गतिविधियों को एलएसी के अपनी तरफ सीमित रखे। 
 
इससे पहले एक अलग बयान में उन्होंने गलवान घाटी पर चीन के सम्प्रभुता के दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा था कि इस तरह के ‘अमान्य’ और ‘बढ़ा-चढ़ाकर’ किए गए दावे दोनों देशों के बीच 6 जून को उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता में बनी सहमति के विपरीत हैं। चीन की सेना ने गुरुवार को कहा कि गलवान घाटी हमेशा चीन का हिस्सा रही है।
 
इस बीच सोमवार रात की झड़पों के बाद गलवान घाटी में सामान्य स्थिति बहाल करने के उद्देश्य से लगातार तीसरे दिन गुरुवार को भारतीय और चीनी सेनाओं ने मेजर जनरल-स्तर की वार्ता की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
 
गलवान घाटी में सोमवार की शाम भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। इस झड़प में भारतीय सेना के लगभग 18 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
 
सूत्रों ने कहा कि मेजर जनरल स्तरीय बातचीत में गलवान घाटी से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया को लागू करने पर चर्चा हुई थी। 6 जून को दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता में इसी पर सहमति बनी थी।
 
भारतीय सेना ने गुरुवार को उन मीडिया खबरों को खारिज किया कि जिनमें दावा किया गया है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़पों के बाद उसके कई सैनिक लापता हैं। सेना ने एक बयान में कहा कि यह स्पष्ट किया गया है कि कार्रवाई में कोई भारतीय सैनिक लापता नहीं हैं।
 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपनी मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि दोनों पक्ष अपने-अपने दूतावासों तथा विदेश कार्यालयों के माध्यम से नियमित संपर्क में हैं और जमीनी स्तर पर भी संपर्क कायम रख रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि सीमा के मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कामकाजी प्रणाली समेत हमारी अन्य स्थापित कूटनीतिक प्रणालियों पर बातचीत जारी है।
 
श्रीवास्तव ने कहा कि हम सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन-चैन बनाए रखने की जरूरत पर और मतभेदों को संवाद के माध्यम से सुलझाने पर पूरी तरह दृढ़संकल्पित हैं, वहीं उसी समय जैसा कि प्रधानमंत्री ने कल कहा था, हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
 
विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई टेलीफोन वार्ता में भी भारत ने ‘कड़े शब्दों’ में अपना विरोध जताया और कहा कि चीनी पक्ष को अपने कदमों की समीक्षा करनी चाहिए और स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए।
 
श्रीवास्तव ने बताया कि विदेश मंत्री जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री के बीच लद्दाख में हालिया घटनाक्रम को लेकर फोन पर बातचीत हुई।
 
उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि समग्र स्थिति से जिम्मेदाराना तरीके से निपटा जाना चाहिए और 6 जून को वरिष्ठ कमांडरों के बीच बनी आपसी सहमति का ईमानदारी से पालन किया जाना चाहिए। अनुचित और बढ़ा-चढ़ाकर दावे करना इस आपसी सहमति के विपरीत है।
 
जयशंकर ने फोन पर हुई बातचीत में वांग को दिए कठोर संदेश में कहा कि गलवान घाटी में हुई अप्रत्याशित घटना का द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने साथ ही कहा कि इस हिंसा के लिए चीन की ‘पूर्व नियोजित’ कार्रवाई सीधे तौर पर जिम्मेदार है।
 
गलवान घाटी क्षेत्र में सोमवार रात दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प में एक कर्नल और 19 अन्य भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गए।
 
सोमवार को हुई झड़प नाथू ला में 1967 में हुई झड़पों के बाद दोनों सेनाओं के बीच अब तक का सबसे बड़ा टकराव था। नाथू ला में हुई झड़पों में भारतीय सेना के 80 सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे।
 
जयशंकर ने अलग से एक बयान में कहा था कि चीन के साथ लगी सीमा पर तैनात सभी भारतीय जवानों के पास शस्त्र होते हैं। वे कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि गलवान घाटी में मारे गए जवानों को शहीद होने के लिए निहत्था क्यों भेजा गया था।
 
विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों की सेनाएं 1996 और 2005 में हुए दो द्विपक्षीय समझौतों के प्रावधान के अनुसार हथियारों का इस्तेमाल नहीं करतीं।
 
इस बीच बीजिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान सोमवार रात को गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में चीनी सैनिकों के हताहत होने के बारे में पूछे गए सवाल को लगातार दूसरे दिन टाल गए।
 
झाओ से उन आरोपों के बारे में पूछा गया कि चीनी सैनिकों ने कर्नल संतोष बाबू और अन्य भारतीय सैनिकों पर लोहे की छड़ों तथा कंटीली तार लगे डंडों से बर्बर हमला किया और क्या यह विवाद तब शुरू हुआ जब भारतीय सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन द्वारा बनाए जा रहे ढांचों को ध्वस्त करने पहुंचे थे। झाओ ने इस घटना के लिए भारतीय सेना को जिम्मेदार ठहराने वाले चीन के आरोपों को दोहराया। (भाषा)
ये भी पढ़ें
कोरोनावायरस Live Updates : भारत में 2 लाख से ज्यादा मरीज स्वस्थ हुए