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Last Modified: बुधवार, 21 फ़रवरी 2018 (16:45 IST)

हार्दिक पटेल को अदालत से बड़ा झटका

हार्दिक पटेल को अदालत से बड़ा झटका - Hardik Patel Patidar Reservation Movement Court
अहमदाबाद। गुजरात में अहमदाबाद की एक अदालत ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ यहां पुलिस की क्राइम ब्रांच की ओर से अक्टूबर 2015 में दर्ज राजद्रोह के एक मामले में उनकी आरोप मुक्ति अर्जी को बुधवार को खारिज कर दिया।

यह मामला 25 अगस्त, 2015 को यहां जीएमडीसी मैदान में हुई उनकी विशाल रैली के बाद भड़की हिंसा के सिलसिले में दायर किया गया था। उस हिंसा के दौरान एक पुलिसकर्मी समेत 14 लोगों की मौत हुई थी जबकि 200 से अधिक सरकारी बसों समेत करोड़ों की सरकारी संपत्ति जला दी गई थी अथवा क्षतिग्रस्त की गई थी। हार्दिक ने इस मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए गुजरात हाईकोर्ट में अर्जी दी थी जिसे अदालत ने पहले ही खारिज कर दिया था।

इसके बाद पिछले साल सितंबर में उन्होंने निचली अदालत में आरोपमुक्ति अर्जी दी थी। एडीजे दिलीप माहिडा की अदालत ने 2 फरवरी को इस पर सुनवाई कर आदेश सुरक्षित रखा था। आज उन्होंने इसे खारिज कर दिया। हार्दिक के वकील ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।

उन्होंने कोई षड्‍यंत्र नहीं किया अथवा लोगों को नहीं भड़काया। यह हिंसा रैली के बाद की गयी पुलिस कार्रवाई के कारण हुई। दूसरी ओर सरकारी वकील ने दलील दी थी कि हार्दिक ने चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए षड्यंत्र के तहत हिंसा कराई थी।

भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) के तहत इस मामले में दोष सिद्ध होने पर हार्दिक को उम्रकैद की सजा भी हो सकती है। उनके लिए मुश्किल यह है कि इस मामले के तीन अन्य सहआरोपियों और उनके पूर्व करीबी साथियों में से एक केतन पटेल पहले ही वादामाफ गवाह बन चुके हैं।

दो अन्य आरोपी चिराग पटेल और दिनेश बांभणिया भी उनके खिलाफ हो गए हैं। इस मामले तथा सूरत में अपने सहयोगियों को पुलिस की हत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के लिए दर्ज राजद्रोह के एक अन्य मामले के चलते वह पहले नौ माह तक जेल में थे। जुलाई 2016 में गुजरात हाईकोर्ट से जमानत मिलने पर इसकी शर्त के अनुरूप वह छ: माह तक राज्य से बाहर रहे थे।

हाल में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा का खुलेआम विरोध किया था। सूरत राजद्रोह प्रकरण में भी उनकी आरोपमुक्ति याचिका निचली अदालत ने खारिज कर दी थी और उसको लेकर उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अहमदाबाद के मामले में भी उनके ऐसा ही करने की पूरी संभावना है। उनकी अर्जी खारिज होने के बाद अब उनके खिलाफ आरोप गठन का प्रक्रिया शुरू होगी। क्राइम ब्रांच ने इस मामले में 2700 पन्ने का आरोप पत्र दायर किया था। (भाषा)