मोदी-मैक्रों मुलाकात, दो सभ्यताओं का मिलन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रक्षा क्षेत्र में भारत और फ्रांस के सहयोग को स्वर्णिम कदम बताते हुए शनिवार को कहा कि अभी भारत को फ्रांस के सबसे विश्वस्त रक्षा भागीदारों में गिना जाता है। उन्होंने कहा कि हमारी दोस्ती दो सभ्यताओं का मिलन है।
मोदी ने भारत की 4 दिन की यात्रा पर आए फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ यहां शिष्टमंडल स्तर की वार्ता के बाद अपने वक्तव्य में कहा कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच साजोसामान सहयोग समझौते को वे इतिहास के स्वर्णिम कदम के रूप में देखते हैं। रक्षा, सुरक्षा, अंतरिक्ष और उच्च प्रौद्योगिकी में भारत और फ्रांस के द्विपक्षीय सहयोग का इतिहास बहुत लंबा है।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने शनिवार को शिक्षा और आव्रजन के क्षेत्र में भी समझौता किया है। उन्होंने कहा कि ये दोनों समझौते हमारे देशवासियों और हमारे युवाओं के बीच करीबी संबंधों की रूपरेखा तैयार करेंगे।
मोदी ने कहा कि दोनों देशों के लोगों के बीच परस्पर संपर्क द्विपक्षीय संबंधों के उज्ज्वल भविष्य का सबसे महत्वपूर्ण आयाम है तथा हम चाहते हैं कि हमारे युवा एक-दूसरे के देश को जानें, एक-दूसरे के देश को देखें, समझें, काम करें ताकि हमारे संबंधों के लिए हजारों 'राजदूत' तैयार हों तथा दोनों देशों में द्विपक्षीय संबंधों को लेकर व्यापक सहमति है।
उन्होंने कहा कि सरकार किसी की भी हो, हमारे संबंधों का ग्राफ सिर्फ और सिर्फ ऊंचा ही जाता है। यह संयोग मात्र नहीं है कि मुक्ति, समानता, भाईचारे की गूंज फ्रांस में ही नहीं, भारत के संविधान में भी दर्ज है। हमारे दोनों देशों के समाज इन मूल्यों की नींव पर खड़े हैं। हम सिर्फ दो सशक्त स्वतंत्र देशों तथा दो विविधतापूर्ण लोकतंत्रों के ही नेता नहीं हैं बल्कि दो समृद्ध और समर्थ विरासतों के उत्तराधिकारी भी हैं। दोनों देशों की सामरिक भागीदारी भले ही 20 साल पुरानी हो, देशों और सभ्यताओं की आध्यात्मिक साझेदारी सदियों लंबी है।
रविवार को वे दोनों अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के स्थापना सम्मेलन की सहअध्यक्षता करेंगे। वे पृथ्वी के भविष्य की खातिर सभी अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की सफलता के लिए प्रतिबद्ध हैं।