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Last Updated : रविवार, 15 मई 2022 (20:54 IST)

दो धड़ों में बंटा भारतीय किसान यूनियन, निकाले गए राकेश टिकैत

दो धड़ों में बंटा भारतीय किसान यूनियन, निकाले गए राकेश टिकैत - big blow to rakesh tikait and naresh tikait bharatiya kisan union showed the way out
लखनऊ। विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे किसान आंदोलन के सूत्रधार रहे भारतीय किसान यूनियन को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। इसमें बताया गया है कि देश का यह बड़ा किसान संगठन अब दो धड़ों में बंट चुका है। बड़ी बात यह है कि किसान आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे राकेश टिकैत और उनके भाई नरेश टिकैत को संगठन से अलग कर दिया गया है। चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि के मौके पर संगठन में ये बड़ा फेरबदल हुआ है।

भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर रविवार को राजधानी लखनऊ स्थित गन्ना किसान संस्थान में भाकियू नेताओं की एक बैठक हुई, जिसमें टिकैत परिवार के खिलाफ किसानों में उभरी नाराजगी के बाद राकेश टिकैत को बर्खास्त कर दिया गया।

नरेश टिकैत को भी भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय पद से मुक्त कर दिया गया। किसान नेताओं में टिकैत बंधुओं  के प्रति नाराजगी दिखाई दी। राकेश टिकैत ने सरकार के नए कृषि कानून का विरोध किया था। यही नहीं राकेश टिकैत के आह्वान पर यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर एक साल से ज्यादा आंदोलन चला। कृषि कानून के वापस होने के बाद ही ये आंदोलन खत्म हुआ था।

भाकियू के एक वरिष्ठ पदाधिकारी हरिनाम सिंह ने बताया कि संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेश चौहान ने महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि के अवसर पर रविवार को लखनऊ में भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) के गठन की घोषणा की है। 
 
चौहान ने इस अवसर पर कहा कि मैंने समय-समय पर अपने दृष्टिकोण को सामने रखने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने (भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत और प्रवक्ता राकेश टिकैत) न तो कार्यकर्ताओं की बात सुनी और न ही किसानों की समस्याओं पर ध्यान दिया। वे गलत संगत में पड़ गए और हमारा अपमान किया। 
 
उन्होंने कहा कि मैंने दिल से नरेश टिकैत और राकेश टिकैत का समर्थन किया लेकिन जब चुनाव (उत्तर प्रदेश के हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव) आए तो वह दोनों महेंद्र सिंह टिकैत के आदर्शों से भटक गए। वे राजनीतिक पचड़े में फंस गए और संगठन को राजनीतिक दलों के हाथों की कठपुतली बना दिया। 
 
चौहान ने किसी भी राजनीतिक दल का नाम लिए बगैर कहा कि राकेश टिकैत राजनीतिक दलों के प्रभाव में थे। उन्होंने चुनाव में एक पार्टी के लिए प्रचार किया जबकि दूसरी पार्टी का विरोध किया।" बाद में संवाददाताओं से बातचीत में चौहान ने कहा कि अलग संगठन बनाने का फैसला उनका निजी नहीं है बल्कि उनके कार्यकर्ताओं और किसानों का है।