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  4. Average cost offered by US for MQ-9B drones 27 per cent less for India, negotiations yet to begin : Sources
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Last Modified: गुरुवार, 29 जून 2023 (23:29 IST)

India-US Drone Deal: 'दूसरे देशों की तुलना में भारत की डील 27 प्रतिशत सस्ती', ड्रोन डील को लेकर कांग्रेस ने आरोपों को किया खारिज

MQ9 reaper drone
नई दिल्ली। US Predator Drones Deal: सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को दावा किया कि भारत के लिए एमक्यू-9बी ड्रोन के वास्ते अमेरिका द्वारा प्रस्तावित औसत अनुमानित लागत वॉशिंगटन से इसे खरीदने वाले अन्य देशों की तुलना में 27 प्रतिशत कम होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रतिनिधि बातचीत के दौरान इसे और कम करने का काम करेंगे। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर यूएवी ड्रोन ऊंची कीमत पर खरीदे जा रहे हैं।
 
उन्होंने यह भी स्पष्ट रूप से रेखांकित किया कि अभी तक मूल्य निर्धारण के मुद्दे पर बातचीत शुरू नहीं हुई है।अधिकारी ने विश्वास व्यक्त किया कि अंतिम कीमत अन्य देशों द्वारा वहन की जाने वाली लागत की तुलना में प्रतिस्पर्धी होगी।
 
अधिकारी ने कहा कि कीमतें तभी बढ़ाई जा सकती हैं जब भारत इन ड्रोन में अतिरिक्त विशिष्टताओं की मांग करेगा।
 
संबंधित 31 ड्रोन की प्रस्तावित खरीद की दिशा में नवीनतम आधिकारिक घटनाक्रम रक्षा खरीद परिषद द्वारा दी गई 'आवश्यकता की स्वीकृति' का रहा है, जो 15 जून को हुआ था। अमेरिका निर्मित इन ड्रोन की सांकेतिक लागत 307.2 करोड़ अमेरिकी डॉलर है।
 
अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक ड्रोन के लिए यह कीमत 9.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर बैठती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस ड्रोन को रखने वाले कुछ देशों में से एक संयुक्त अरब अमीरात को प्रति ड्रोन 16.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना पड़ा।
 
उन्होंने कहा कि भारत जिस एमक्यू-9बी को खरीदना चाहता है, वह संयुक्त अरब अमीरात के बराबर है, लेकिन बेहतर संरचना के साथ है।
 
अधिकारी के अनुसार, ब्रिटेन द्वारा खरीदे गए ऐसे 16 ड्रोन में से प्रत्येक की कीमत 6.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर थी, लेकिन यह सेंसर, हथियार और प्रमाणन के बिना केवल एक 'हरित विमान' था। सेंसर, हथियार और पेलोड जैसी सुविधाओं पर कुल लागत का 60-70 प्रतिशत हिस्सा खर्च होता है।
 
उन्होंने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि भारत के सौदे के आकार और इस तथ्य के कारण कि विनिर्माता ने अपने शुरुआती निवेश का एक बड़ा हिस्सा पहले के सौदों से वसूल कर लिया है, नयी दिल्ली के लिए कीमत दूसरे देशों की तुलना में कम हो रही है।
 
हालांकि उन्होंने कहा कि भारत को इन ड्रोन के साथ अपने कुछ रडार और मिसाइलों को एकीकृत करने की आवश्यकता हो सकती है, जिससे कीमत में संशोधन हो सकता है।
 
यह टिप्पणी कांग्रेस द्वारा करोड़ों रुपए के भारत-अमेरिका ड्रोन सौदे में पूर्ण पारदर्शिता की मांग किए जाने के एक दिन बाद आई है, जिसने आरोप लगाया कि 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन अधिक कीमत पर खरीदे जा रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि ऐसा बयान शायद 'अज्ञानता' के कारण दिया गया होगा।
 
इन खबरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कि वायुसेना ने ड्रोन के बारे में कुछ सवाल उठाए थे, उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि रक्षा बलों के ये सभी अंग परामर्श के दौरान अपनी बात रखेंगे। हालांकि, वायुसेना, थलसेना और नौसेना ने सभी स्तरों पर इनकी खरीद का समर्थन किया है।
 
उन्होंने कहा कि भारत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के हिस्से के रूप में 15-20 प्रतिशत तकनीकी जानकारी चाहता है और इंजन, रडार प्रोसेसर इकाइयों, वैमानिकी, सेंसर और सॉफ्टवेयर सहित प्रमुख घटकों एवं उपप्रणालियों का निर्माण और स्रोत यहीं से किया जाएगा।
 
सूत्रों ने कहा कि एक बार दोनों सरकारों से सौदे को अंतिम मंजूरी मिल जाने के बाद, भारत अपनी तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए इनमें से 11 ड्रोन जल्द खरीदने पर विचार कर रहा है और बाकी को देश में ही तैयार किया जाएगा।
 
उन्होंने दावा किया कि झूठी खबरें और प्रचार करके सौदे को बाधित करने का प्रयास किया जा सकता है क्योंकि उन्नत हथियारों से भारत के प्रतिद्वंद्वियों में डर और घबराहट पैदा होगी तथा इन उन्नत ड्रोन से भारत को अपने दुश्मनों पर प्रभावी ढंग से निगरानी रखने में मदद मिलेगी। सूत्रों में से एक ने कहा कि इससे हमारे दुश्मनों द्वारा हमें आश्चर्यचकित किए जाने की संभावना बहुत कम हो जाएगी।
 
सूत्रों ने कहा कि भारत और अमेरिका सरकारों के बीच होने वाला सौदा पारदर्शी एवं निष्पक्ष होना तय है।
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वॉशिंगटन की हालिया यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने ड्रोन सौदे पर मुहर लगाई थी, जिसे भारत को ड्रोन विनिर्माण का केंद्र बनाने के उनके प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है।
 
अधिक ऊंचाई वाले एवं लंबे समय तक टिके रहने वाले ये ड्रोन 35 घंटे से अधिक समय तक हवा में रहने में सक्षम हैं और चार हेलफायर मिसाइल तथा लगभग 450 किलोग्राम बम ले जा सकते हैं।
 
भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में निगरानी के लिए 2020 में जनरल एटमिक्स से दो एमक्यू-9बी सी गार्जियन ड्रोन एक साल की अवधि के लिए पट्टे पर लिए थे और बाद में पट्टा अवधि बढ़ा दी गई थी। Edited By : Sudhir Sharma
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