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Written By Author शरद सिंगी

बहुत महत्वपूर्ण है गणतंत्र दिवस पर यूएई के युवराज का मुख्य आतिथ्य

बहुत महत्वपूर्ण है गणतंत्र दिवस पर यूएई के युवराज का मुख्य आतिथ्य - United Arab Emirate, Prince Sheikh Mohammed, UAE
यह बात अनेक शुभ संकेत देती है कि गणतंत्र दिवस की परेड में इस वर्ष भारत के मुख्य अतिथि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के युवराज शेख मोहम्मद होंगे। इनके पिता शेख ज़ाईद को संयुक्त अरब अमीरात का पितृपुरुष माना जाता है। वर्तमान में सुल्तान तो शेख ज़ाइद के ज्येष्ठ पुत्र शेख खलीफा हैं किन्तु उनकी अस्वस्थता के चलते युवराज शेख मोहम्मद ने ही पूरा कार्यभार संभाल रखा है। 
यदि आपको स्मरण हो तो ये वही युवराज हैं जो मोदीजी की यूएई की अगस्त 2015 की यात्रा के समय सारी राजनीतिक मर्यादाओं को ताक में रखते हुए अपने पांच भाइयों के साथ मोदीजी के आगमन पर उनके स्वागत के लिए एयरपोर्ट पहुंच गए थे। मोदीजी ने अपनी सफल यात्रा के पश्चात् तुरन्त उन्हें भारत आने का न्यौता दिया था। इस न्यौते पर शेख मोहम्मद फरवरी 2016 में तीन दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे और कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। यूएई ने भारत में मूलभूत सुविधाओं में 75 बिलियन डॉलर निवेश करने का आश्वसन दिया।   
 
इन एक के पीछे एक दौरों से दोनों देशों के बीच घनिष्ठता आई। कई व्यापारिक समझौतों पर दस्तखत हुए। इस घनिष्ठता का परिणाम है कि भारत ने शेख मोहम्मद को  इस वर्ष के  गणतंत्र  दिवस पर विशेष सम्मान देने का फैसला किया। भारत में प्रतिवर्ष तीस से चालीस तक विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्ष आधिकारिक दौरों पर आते हैं। उनमे से किसी एक राष्ट्राध्यक्ष को भारत के इस सर्वोच्च सम्मान के लिए चुनना एक बहुत बड़ी बात है।
 
यूएई को एक अत्याधुनिक राष्ट्र बनाने में, भारतीय मज़दूर, व्यापारी, लेखाकर्मी, व्यवसायी तथा तकनीकी विशेषज्ञों का बड़ा हाथ रहा है इसलिए अन्य दक्षिण एशियाई  देशों के लोगों की अपेक्षा भारतीय समुदाय को यहां काफी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। यूएई में भारत के राजदूत नवदीप सिंह सूरी ने अपने विशेष इंटरव्यू में यूएई के एक अख़बार को बताया कि शेख मोहम्मद की इस सम्मानपूर्ण यात्रा से दोनों देशों के बीच के संबंधों को नई ऊंचाई मिलेगी और सहयोग के नए दरवाज़े खुलेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि शेख मोहम्मद की यह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों में एक मील का पत्थर साबित होगी। अनेक नए और बहुआयामी समझौतों पर हस्ताक्षर होने की भी उम्मीद है। अभी तक भारत यूएई के बीच वार्ता ऊर्जा (तेल) एवं श्रमिकों की समस्याओं को लेकर ही सीमित रहती थीं, किन्तु अब भारत एवं यूएई प्रतिरक्षा, गृह सुरक्षा, आतंकवाद और धर्मिक कट्टरता से लड़ने में आपसी सहयोग की बात कर रहे हैं। 
 
सहयोग का दायरा इस यात्रा से निश्चित ही बढ़ेगा क्योंकि अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता हैकि इस वर्ष भारत की एयरफोर्स के साथ यूएई की एरपफोर्स भी परेड में भाग ले रही है। यूएई की बड़ी कंपनियों ने भी भारत में निवेश करने में अपनी रुचि दिखाई है, विशेषकर वे कंपनियां जो एयरपोर्ट, बंदरगाह और हाईवे विकसित करती हैं। यह समय है जब दोनों देशों को एक-दूसरे की जरूरत है। एक-दूसरे के सम्मान से ही रिश्ते आगे बढ़ते हैं। दोनों देशों को एक-दूसरे से सीखने और सहयोग करने की जरुरत है। 
 
यूएई ने शिक्षा एवं तकनीक में पिछड़े होने के बावजूद भी अपने खनिज तेल की आय को द्रुत आर्थिक विकास का अस्त्र बनाया और  देश को  जिस  तरह एक अत्याधुनिक  देश बनाया तारीफे काबिल है क्योंकि यदि देखें तो तेल तो और भी कई देशों के पास है जैसे नाइजीरिया या वेनजुएला लेकिन अभी भी ये देश पिछड़े देशों की श्रेणी में ही आते हैं। इधर भारत के पास भी प्राकृतिक सम्पदा के अकूत भंडार हैं। शिक्षा, तकनीक और सामर्थ्य भी है।  उनके दोहन  से अर्जित धन से किस तरह देश का विकास किया जा सकता है, वह यूएई से सीखने कीजरुरत है, लेकिन हमारे यहां खनन पर माफिया का अधिकार होता है। 
 
यहां विशेष उल्लेखनीय बात यह भी है कि भारत की सोच से सहमत होते हुए यूएई ने संयुक्त घोषणाओं के दौरान उन देशों को आड़े हाथों लिया जो आतंकवाद का पोषण करते हैं। आतंकियों को न्याय के कठघरे में खड़े करने की प्रतिबद्धता बताई। जाहिर है बिना नाम लिए पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया गया। इस वजह से अभी तक यूएई को अपना बिरादराना देश मानने वाला पाकिस्तान, भारत और यूएई के प्रगाढ़ होते रिश्तों को लेकर खटास में है। यूएई, भारत के लिए खाड़ी के देशों के लिए प्रवेश द्वार सिद्ध हो सकता है। 
 
उक्त अनूकूल समीकरणों के चलते दीर्घकाल से इस क्षेत्र में कार्यरत हम सब प्रवासी भारतीयों की धारणा है कि वर्तमान में विदेश मंत्रालय जिस मुस्तैदी से काम कर रहा उससे विश्वास है कि भारत न केवल यूएई बल्कि खाड़ी के अन्य देशों जैसे सऊदी अरब, ओमान, क़तार, बहरीन, कुवैत इत्यादि के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करेगा, जो आर्थिक दृष्टि से भारत के लिए लाभप्रद तो है ही, कूटनीतिक दृष्टि से भी पाकिस्तान को अलग-थलग करने में ये रिश्ते उपयोगी रहेंगे। 
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