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Written By Author डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

मोदी इन यूके : तारीफ़, निंदा, तंज़, चिंताएं और इंटरटेनमेंट

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मोदी इन यूके : तारीफ़, निंदा, तंज़, चिंताएं और इंटरटेनमेंट - Narendra Modi in UK
भारतीय सोशल मीडिया पर बिहार चुनाव के नतीजे आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यूके विज़िट सबसे ज्यादा चर्चा में है! 'भक्त' जयकारे लगा रहे हैं, विरोधी दल और विदेशी मीडिया का एक वर्ग आलोचना के मुद्दे खोज रहे हैं, किसिम किसिम के ताने दिए जा रहे हैं, एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं के ब्लॉग कई मामलों में चिंता जता रहे हैं, मोदी की यात्रा को एक वर्ग इंटरटेनमेंट करार दे रहा है। ब्लॉग्स के अलावा ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टंबलर, लाइफस्ट्रीम, पिन्टेस्ट, लाइव जर्नल, ब्लॉगमार्क, क्लासिकल प्लेस आदि तमाम सोशल साइट्स पर नरेन्द्र मोदी की यात्रा छाई रही।
 
नरेन्द्र मोदी के लंदन पहुँचने के दो घंटे के भीतर 12 हजार ट्वीट उनकी यात्रा को लेकर किए गए। बीजेपी संगठन, विदेश मंत्रालय, मीडिया और मोदी के समर्थकों और आलोचकों के ट्वीट तो छाए ही रहे, ब्रिटिश पार्लियामेंट, ब्रिटिश विदेश विभाग, एनआरआई संगठन के अलावा खुद नरेन्द्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की तरफ से भी दर्जनों ट्वीट रोजाना किए गए।
 
भारत में नरेन्द्र मोदी के आलोचकों का एक वर्ग भी इस यात्रा पर सकारात्मक टिप्पणियाँ देखने को मिलीं। मोदी भले भी बीजेपी के नेता हों, प्रधानमंत्री तो भारत के हैं। प्रधानमंत्री की यूएसए यात्रा में मेडिसन स्क्वेयर पर हुए एनआरआई कार्यक्रम से अलग वेम्बली स्टेडियम के कार्यक्रम की खास बात यह रही कि यहाँ मेजबान प्रधानमंत्री भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
 
यूट्यूब पर एक पोस्ट सैकड़ों लोगों ने पसंद की और हजारों लोगों ने देखी, जिसमें ब्रिटिश प्रधानमंत्री कैमरन ने कहा था कि भारत में लोकसभा चुनाव के पहले विरोधी कह रहे थे कि एक चाय बेचनेवाला क्या प्रधानमंत्री बन सकता है? आज वही व्यक्ति प्रधानमंत्री के रूप में भारत से यहाँ आया है। उन्होंने अपने भाषण में गुजराती में केम छो कहकर लोगों से हाल-अहवाल भी पूछे। कैमरन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को शामिल करने की मांग को जायज कहा। 
 
सोशल मीडिया पर ब्रिटिश टीवी और प्रिंट मीडिया की भारतीय प्रधानमंत्री के प्रति उपेक्षा और आलोचनात्मक टिप्पणियों की भी चर्चा रही, यह कोई नई बात नहीं थी। मोदी के साथ ही उन्होंने कैमरन को भी आलोचना का केन्द्र बनाते हुए मानवाधिकारों की उपेक्षा करने वालों का साथ देने का इलजाम लगाया। एमनेस्टी इंटरनेशन ने अपने आधिकारिक ब्लॉग पर यह भवन भी व्यक्त कर दी कि मोदी भारत में काम करने वाले विदेशी एनजीओ की फंडिंग पर निगाह रखा रहे हैं और उसे रुकवाने की कोशिश कर रहे हैं। ग्रीनपीस इंडिया के कार्यालय को बंद कराने का आदेश भी इन्हें पसंद नहीं आया।  
ब्रिटिश प्रधानमंत्री की पत्नी का वेम्बली स्टेडियम में साड़ी पहनकर आना, महारानी का बिना दस्ताने के मोदी से हाथ मिलाना, ब्रिटिश प्रधानमंत्री का भारतीय राष्ट्रगान के समय तनकर अटेंशन की मुद्रा में खड़ा होना ट्विटर पर छाए रहे।  किसी ने मोदी के परफार्मेंस की तुलना स्टेडियम में अजित आगरकर से की और लिखा कि आगरकर का परफार्मेंस बेहतर था। किसी ने लिखा कि भारत कैसा है, यह जानने के लिए ब्रिटिश टीवी और अखबारों पर भरोसा मत करना। 
 
नरेन्द्र मोदी खुद भी ट्वीट के जरिये बताते रहे कि वे क्या कर रहे हैं, कहाँ जा रहे हैं, क्या क्या चर्चा हुई, वे भारत से डेविड कैमरन और महारानी को हस्तशिल्प और पश्मीना के क्या गिफ्ट दे रहे हैं, भारत में सौर ऊर्जा का क्या महत्व है और उनकी मुलाकातें भारतीयों के समुदाय के किन-किन लोगों से हुई। भारतीय टीवी चैनलों पर मोदी के भाषण का सीधा प्रसारण हुआ, जो कई लोगों को रास नहीं आया और उन्होंने इस पर आलोचनात्मक टिप्पणियां कीं। अमेरिका के भारतीय मूल के लोगों ने लिखा कि यह रॉकस्टार मोदी की विदेश नीति है! ब्रिटिश  'सहिष्णु' लिबरल पार्टी के लिए 2 मिनट के मौन की बातें भी कहीं गई।