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Written By Author स्वरांगी साने

गर्मी रहे बाहर : क्यों न गीले मोजे पहने जाएं

गर्मी रहे बाहर : क्यों न गीले मोजे पहने जाएं - Heat, temperature, wet socks, body temperature
गर्मी बढ़ती है, लू चलती है और बढ़ता है घरों का तापमान। तब ऐसा हो ही नहीं सकता कि हमारे शरीर का तापमान न बढ़े। शरीर के तापमान का बढ़ना कई बार जानलेवा तक साबित हो जाता है।
 
इन दिनों दोपहर की चिलचिलाती धूप में ही नहीं, बल्कि सूर्यास्त के बाद देर रात तक भी  शरीर का तापमान असामान्य रूप से बढ़ा रहता है। इस गर्मी को भगाने के कई घरेलू  उपाय हम जानते ही हैं, जैसे प्याज का रस तलुओं पर लगाना, बाहर जाते समय सिर को  ढांककर निकलना और उसके बीच प्याज रखना, तुलसी का रस पीना आदि। कई लोग ठंडे  पानी में पैर डालकर लंबे समय तक बैठते हैं ताकि शरीर की गर्मी को पानी खींच लें।
 
भागदौड़भरे जीवन में एक स्थान पर लंबे समय तक बैठना मुमकिन नहीं होता और पानी  की किल्लत भी यह गवारा नहीं करती कि एक बाल्टी पानी को इस तरह बर्बाद कर दिया  जाए। तब क्या किया जाए? क्या ऐसा हो सकता है कि जैसे सिर पर पानी की पट्टियां  रखते हैं और उन्हें बदलते रहते हैं, वैसे ही पैरों पर भी बांध ली जाए?
 
मानसून वैज्ञानिक डॉ. मिलिंद मुजुमदार और होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. अमोल मूल्ये  कहते हैं कि इससे राहत तो मिल सकती है लेकिन हमारी आवाजाही प्रभावित होगी। पानी  में पैर डालकर बैठने का एक अच्छा विकल्प तो यह है कि पैरों पर गीला कपड़ा बांधा जाए  लेकिन यह सुविधाजनक नहीं है। इसकी बजाए सूती मोजों को पानी में भिगोकर पहनने से  शरीर का तापमान कम किया जा सकता है और यह विकल्प आपकी गतिशीलता को भी  नहीं रोकेगा। स्लीपर्स के साथ यह प्रयोग और भी सुविधाजनक होता है।
 
आपको करना क्या है, सूती मोजों को गीला कर 30-40 मिनट तक पहने रहना है।  समयावधि को आप अपने हिसाब से कम-ज्यादा कर सकते हैं। समुद्र किनारे रहने वालों के लिए यह थोड़ा मुश्किल होगा, क्योंकि वहां वायु में आर्द्रता रहती है। यदि पैरों से संबंधित कोई रोग या परेशानी हो तो भी सावधानी का ध्यान रखना होगा। यदि गीले मोजे नहीं पहन सकते तो रबर बैग (जो हॉट वॉटर बैग की तरह उपयोग में लाई जाती है) में बर्फीला पानी भरकर उस पर पैर रख बैठ सकते हैं।
 
डॉक्टरद्वय कहते हैं कि आदर्श स्थिति तो यह होगी कि रबर या वाटरप्रूफ पदार्थ के ऐसे  जूते बनाए जाएं जिनमें पानी भरा जा सके और पैरों को उस पानी का स्पर्श न हो, पर ठंडक मिलती रहे। 
 
रबर के हाथ मोजे, चेस्ट कवर, टोपी आदि भी इसी तरह से बनाए जा सकते हैं जिसमें ठंडा पानी भरकर ठंडा-ठंडा अहसास पाया जा सकता है। रबर के खोल में भरा गया पानी दुबारा इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
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