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Written By अनूप तिवारी

बदल चुका है बॉलीवुड...

बदल चुका है बॉलीवुड... - bollywood film
आज के आधुनिक युग में यह कहना उचित है कि बॉलीवुड बदल चुका है। अब इसमें भारतीयता की वो पुरानी छाप नहीं है, न ही वो पुराने गानों की मिठास है। भारतीय संस्कृति की पृष्ठभूमि खो चुका बॉलीवुड 100 वर्ष का हुआ। परिवर्तन संसार का नियम है, पर संस्कृति और मौलिकता को ध्यान में न रखना उचित नहीं।


 
आज का युवा हनी सिंह के गानों पर झूमता है। इन गानों में न संवाद है, न मौलिकता है, न ही ठोस शब्दकोश। ये गाने द्विअर्थी होते हैं। इन गानों में नग्नता है, जो नारी की छवि को धूमिल करती है, जैसे 'तेरा बॉम्ब फिगर मुझे हिप्नोटाइस करता है' और 'किसी हसीना के हाई हिल्स सैंडल' की बात होती है और पश्चिमी संस्कृति का वीडियो होता है जिसमें विदेशी मॉडल कम कपड़ों में ठुमकती है। इसी कारण हमारे देश का युवा और किशोर अवस्था का व्यक्ति नारी के प्रति सम्मान नहीं रखता।
 
लेकिन बॉलीवुड के फिल्म निर्माता इस बात को नहीं स्वीकार करते। उनका कहना है कि समाज जैसा है, जो चल रहा है, हमने वो ही दिखाया है। उनका कहना है कि फिल्में समाज का आईना हैं। पर प्रश्न यह उठता है कि किसी एक व्यक्ति या समूह विशेष की जीवनशैली को लेकर पूरे समाज की वैसी ही कल्पना करना ठीक नहीं, क्योंकि जैसा हम दिखाएंगे, वैसी ही समाज की धारणा बनेगी खासकर युवा अवस्था के बच्चों में। इससे समाज में विकृतियां जन्म लेंगी और यदि किसी खास विषय पर फिल्म बनती है तो उसे पूर्ण वयस्क लोगों के लिए सीमित करना चाहिए। आयु सीमा 18 वर्ष नहीं, बल्कि 25-30 वर्ष होनी चाहिए। सेंसर बोर्ड को अपने नियम कड़े करने चाहिए, क्योंकि सेंसर बोर्ड ही धृतराष्ट्र बना बैठा है। 
 
आज न तो ओपी नैयर, एसडी बर्मन, हेमंत कुमार, रवि, अनजान, खय्याम, जयदेव, सावन कुमार, कल्याणजी-आनंदजी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जैसे संगीतकार हैं और न ही रफी, किशोर कुमार, मुकेश कुमार, तलत महमूद, लता और सुमन कल्याणपूर जैसे गायक ही। न तो हसरत जयपुरी, साहिर लुधियानवी, मजरूह सुल्तानपुरी, शैलेन्द्र जैसे गीतकार हैं और न ही गुरुदत्त, देवानंद, ऋषिकेश मुखर्जी, बीआर चौपड़ा जैसे निर्माता। इनकी फिल्मों में सामाजिक, पारिवारिक और शिक्षाप्रद संदेश भी होता था। ये फिल्में हास्यप्रद और मनोरंजक भी होती थीं, जो सामाजिक पृष्ठभूमि पर खरी उतरती थीं। 
 
पहले जब कोई गीत होता था तो वो इस प्रकार होता था जिसमें नायक का नायिका के प्रति प्रेम-प्रसंग में निवेदन होता था। 
 
1. ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर, तुम नाराज ना होना, के तुम मेरी जिंदगी हो...
2. कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे...., तब तुम मेरे पास आना प्रिये...
3. तुझे जीवन की डोर से बांध लिया है... 
 
अब सीधी बात जैसे...
 
1. प्यार तेरा दिल्ली की सर्दी...
2. तू एक रात मेरे साथ गुजार, तुझे सुबह तक मैं करूं प्यार...
3. सुबह होने ना दे, एक-दूजे को सोने ना दे, तू मेरा हीरो...
 
इस विषय को एक गंभीर विषय मानकर सरकार, समाज और फिल्म निर्माताओं को सोचना होगा।
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