शनिवार, 21 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. मकर संक्रां‍ति
  4. मकर संक्रांति सभी त्योहारों में सर्वोत्तम क्यों?

मकर संक्रांति सभी त्योहारों में सर्वोत्तम क्यों?

Makar Sankranti | मकर संक्रांति सभी त्योहारों में सर्वोत्तम क्यों?
हिन्दू धर्म में सैंकड़ों त्योहार है। धनतेरस, दीपावली, होली, नवरात्रि, दशहरा, महाशिवरात्री, गणेश चतुर्थी, रक्षाबंधन, कृष्णजन्माष्टमी, करवां चौथ, रामनवमी, छठ, वसंत पंचमी, मकर संक्रांति, दुर्गा पूजा, भाईदूज, उगादि, ओणम, पोंगल, लोहड़ी, हनुमान जयंती, गोवर्धन पूजा, काली पूजा, विष्णु पूजा, कार्तिक पूर्णिमा, नरक चतुर्थी, रथ या‍त्रा, गौरी हब्बा उत्सव, महेश संक्रांति, हरतालिका तीज, थाईपुसम, श्राद्ध, कुंभ, ब्रह्मोत्सव, आदि।...लेकिन इनमें से कुछ त्योहार है, कुछ पर्व, कुछ व्रत, पूजा और कुछ उपवास। उक्त सभी में फर्क करना चाहिए।
 
 
हिंदू त्योहार कुछ खास ही हैं लेकिन भारत के प्रत्येक समाज या प्रांत के अलग-अलग त्योहार, उत्सव, पर्व, परंपरा और रीतिरिवाज हो चले हैं। यह लंबे काल और वंश परम्परा का परिणाम ही है कि वेदों को छोड़कर हिंदू अब स्थानीय स्तर के त्योहार और विश्वासों को ज्यादा मानने लगा है। सभी में वह अपने मन से नियमों को चलाता है। कुछ समाजों ने मांस और मदिरा के सेवन हेतु उत्सवों का निर्माण कर लिया है। रात्रि के सभी कर्मकांड निषेध माने गए हैं।
 
 
उन त्योहार, पर्व या उत्सवों को मनाने का महत्व अधिक है जिनकी उत्पत्ति स्थानीय परम्परा, व्यक्ति विशेष या संस्कृति से न होकर जिनका उल्लेख वैदिक धर्मग्रंथ, धर्मसूत्र और आचार संहिता में मिलता है। ऐसे कुछ पर्व हैं और इनके मनाने के अपने नियम भी हैं। इन पर्वों में सूर्य-चंद्र की संक्रांतियों और कुम्भ का अधिक महत्व है। सूर्य संक्रांति में मकर सक्रांति का महत्व ही अधिक माना गया है।
 
 
मकर संक्रांति : मकर सक्रांति देश के लगभग सभी राज्यों में अलग-अलग सांस्कृतिक रूपों में मनाई जाती है। लोग भगवान सूर्य का आशीर्वाद लेने के लिए गंगा और प्रयाग जैसी पवित्र नदियों में डुबकियां लगाते हैं, पतंग उड़ाते हैं गाय को चारा खिलाते हैं। इस दिन तिल और गुड़ खाने का महत्व है। जनवरी में मकर संक्रांति के अलावा शुक्ल पक्ष में बसंत पंचमी को भी मनाया जाता।
 
त्योहार और मौसम का संबंध : वेदों में प्रकृति को ईश्वर का साक्षात रूप मानकर उसके हर रूप की वंदना की गई है। इसके अलावा आसमान के तारों और आकाश मंडल की स्तुति कर उनसे रोग और शोक को मिटाने की प्रार्थना की गई है। धरती और आकाश की प्रार्थना से हर तरह की सुख-समृद्धि पाई जा सकती है। इसीलिए ऋषियों ने प्रकृति अनुसार जीवन-यापन करने की सलाह दी। साथ ही उन्होंने वर्ष में होने वाले ऋतु परिवर्तन चक्र को समझकर व्यक्ति को उस दौरान उपवास और उत्सव करने के नियम बनाए ताकि मौसम परिवर्तन के नुकसान से बचकर उसका लुत्फ उठाया जा सके।
ये भी पढ़ें
friday remedies : ऋण से मुक्ति दिलाएगा शुक्रवार का 1 आसान उपाय