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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 9 सितम्बर 2022 (10:56 IST)

बच्चों के लिए महफूज नहीं मध्यप्रदेश!, एक दशक में 337% बढ़े बच्चों के खिलाफ अपराध

बच्चों के लिए महफूज नहीं मध्यप्रदेश!, एक दशक में 337% बढ़े बच्चों के खिलाफ अपराध - Madhya Pradesh has the highest number of crimes against children in the country
भोपाल। देश में सबसे अधिक मध्यप्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराध हो रहे है। लगातार दूसरे साल मध्यप्रदेश बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध में पहले स्थान पर है। इतना ही चौंकाने वाली बात यह है कि बच्चों के साथ अपराध में मध्यप्रदेश में पिछले एक दशक में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में मध्यप्रदेश में बच्चों के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए है। NCRB के डेटा के मुताबिक 2021 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 19,173 केस दर्ज किए गए है जो कि देश में सबसे अधिक है। मध्यप्रदेश के बाद महाराष्ट्र में बच्चों के खिलाफ अपराध के 17,261 केस दर्ज किए गए है। 
 
एक दशक में 337% वृद्धि बढ़ा बच्चों के खिलाफ क्राइम- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि मध्य प्रदेश ने साल दर साल बच्चों के खिलाफ अपराधों में लगातार वृद्धि दर्ज की है और पिछले एक दशक (2011-2021) में बच्चों के खिलाफ अपराध में 337% फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। मध्य प्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराध के NCRB के डेटा के मुताबिक 2011 में कुल मामलों की संख्या 4,383 थी जो 2021 में बढ़कर 19,173 हो गई है।
MP में बच्चों के खिलाफ एक दिन में सबसे अधिक केस-NCRB के डेटा के मुताबिक 2021 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 19,173 केस दर्ज किए गए है जो कि देश में सबसे अधिक है। NCRB  का डेटा कहता है कि मध्यप्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराध के हर दिन 52 से अधिक मामले दर्ज होते है जोकि देश में सबसे अधिक है। बच्चों के खिलाफ प्रति दिन दर्ज होने वाले अपराध का यह आकंड़ा देश में सबसे अधिक है। इतना ही नहीं राज्य में पिछले वर्ष की तुलना में बच्चों के खिलाफ अपराधों की संख्या में 11.3% की वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट के अनुसार 2020 में राज्य में बच्चों के खिलाफ अपराधों के 17,008 मामले दर्ज किए गए। साल 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 19,173 हो गया।
 
अपहरण के मामले में देश में दूसरा स्थान-एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि राज्य में 2021 में बच्चों के अपहरण के मामले में 9,137 के दर्ज किए गए है जोकि देश में दूसरी सबसे अधिक संख्या है। चिंताजनक बात यह है कि बच्चों के अपहरण के मामले में मध्यप्रदेश का औसत राष्ट्रीय औसत से दोगुना है। वहीं 2020 के तुलना में 6.2 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं राज्य में बच्चों के खिलाफ कुल अपराध के मामले में 31.7 प्रतिशत मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए गए है। वहीं 2020 की तुलना में पॉक्सो के मामलों में लगभग 7.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट से पता चलता है कि राज्य में नाबालिगों के साथ यौन शोषण के मामले तेजी से बढ़े है। 
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में औसतन हर तीन घंटे में एक मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में मध्यप्रदेश में बच्चियों के साथ रेप के 3515 मामले दर्ज हुए। जबकि देश में यह आंकड़ा 33036 है।
 
बाल अधिकार के लिए काम करने वाले संगठन चाइल्ड राइट्स एंड यू की क्षेत्रीय निदेशक सोहा मोइत्रा कहती है कि मध्य प्रदेश मे वर्ष 2021 में प्रतिदिन बच्चों के खिलाफ अपराध के 52 से अधिक मामले दर्ज किए गए जिसमे औसतन 25 मामले अपहरण के और पॉक्सो के तहत यौन शोषण के लगभग 17 मामले शामिल है। क्राइ का बच्चों के खिलाफ अपराधों का दशकीय विश्लेषण बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों की बदतर स्थिति पर और अधिक प्रकाश डालता है। राज्य में पिछले 10 वर्षों में बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में भारी वृद्धि (337 प्रतिशत) दर्ज की गयी है। यह बेहद चिंताजनक है। हालांकि, आपराधिक मामलों दर्ज होने में साल दर साल सुधार हुआ है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एनसीआरबी रिपोर्ट में दर्ज किए गए आपराधिक मामलों के अलावा भी ऐसे कई मामले होंगे जो किसी न किसी वजह से दर्ज नहीं किए जा सके होंगे। खासतौर पर दूर दराज़ के इलाकों मे जहां पुलिस थानो मे वंचित तबके के लोगों के लिए अपना केस दर्ज करवाना आज भी काफी चुनौतीपूर्ण है। 
कोरोना महामारी के समय बच्चों के खिलाफ अपराध के बढ़ते मामलों पर सोहा मोइत्रा कहती गै कि एनसीआरबी का डेटा स्पष्ट रूप से बताता है कि महामारी ने बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों का जोखिम कई स्तरों पर बढ़ा दिया है। हालांकि इन आपराधिक मामलों को कम करने के लिए कई सक्रिय कदम उठाए गए हैं, लेकिन बच्चों के खिलाफ अपराध की स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ है। एसे मे यह बेहद ज़रूरी हो जाता है की हम जमीनी स्तर पर सतर्कता के एक मजबूत तंत्र को सुनिश्चित करने के लिए शहरी व्यवस्था के साथ-साथ ग्राम स्तर की बाल संरक्षण समितियों (वीएलसीपीसी) दोनों में बाल संरक्षण प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में पर्याप्त संसाधनों पर अधिक ध्यान केंद्रित करें।

मध्यप्रदेश में बच्चियों से रेप के मामले सबसे अधिक होने पर महिला अपराध शाखा की एडीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव कहती है कि साल 2021 में 3512 केस में से 2499 लापता से जुड़े केस थे जिनमें रेप की धारा बढ़ाई गई वहीं प्रदेश में ऑपरेशन मुस्कान चलाकर लापता बच्चियों की खोज की गयी। इसमें जांच में पता चला कि आपसी सहमति, प्रेम प्रसंग, घर से नाराज होकर जाने की बात सामने आयी। वहीं अधिकांश केस में पीड़िता अपने बयान से मुकर चुकी है और कोर्ट में सहमति से संबंध बनाने की बात को स्वीकार किया है। वहीं प्रेम प्रसंग या घरवालों से नाराज होकर घर छोड़ने के मामले भी प्रदेश में बढ़े है। वहीं महिला अपराध के मामले में मध्यप्रदेश वर्तमान में देश में छठे स्थान पर है। 2021 में प्रदेश में महिला अपराध के मामले सिर्फ एक फीसदी बढ़े है।
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