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Written By Author विकास सिंह
Last Modified: सोमवार, 2 नवंबर 2020 (10:00 IST)

Inside story :ग्वालियर-चंबल में ‘महाराज’ के साथ सिंधिया घराने की प्रतिष्ठा भी दांव पर

उपचुनाव में उम्मीदवारों साथ सिंधिया की 'किस्मत' का फैसला करेगा ग्वालियर-चंबल का वोटर

Inside story :ग्वालियर-चंबल में ‘महाराज’ के साथ सिंधिया घराने की प्रतिष्ठा भी दांव पर - Madhya Pradesh by-election: Scindia Gharana's prestige is also at stake with 'Maharaj' in Gwalior-Chambal
भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर मंगलवार को मतदाता 355 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों समेत प्रदेश में 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में वोटर शिवराज सरकार के 12 मंत्रियों की किस्मत का फैसला भी ईवीएम का बटन दबा कर करेंगे। 
 
प्रदेश के इतिहास में पहली बार एक साथ 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में इस बार दिग्गजों की प्रतिष्ठा के साथ-साथ उनका राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगा हुआ है। मार्च से प्रदेश की राजनीति के केंद्र में रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया की भविष्य की राजनीति को बहुत कुछ 10 नवंबर को उपचुनाव के आने वाले नतीजे तय करेंगे। ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों पर ‘महाराज’ के साथ-सिंधिया घराने की पूरी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। 
 
अपने समर्थकों को जिताने के साथ-साथ खुद की प्रतिष्ठा बचाने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उपचुनाव में 54 से अधिक सभा और रोड शो किए है। इसके साथ-साथ सिंधिया ने वोटरों को रिझाने के लिए चुनाव में इमोशनल कार्ड भी खूब खेला है। चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में सिंधिया ने लोगों की सहानुभति हासिल करने के लिए खुद के लिए ‘कुत्ता’ और ‘कौआ’ जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया।
वहीं चुनाव मंचों पर सिंधिया खुद को ‘महाराज’ और चुनावी सभा में लोगों से सिंधिया परिवार का झंडा ऊंचा रखने की बात भी कहते नजर आए। पोहरी विधानसभा में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए सिंधिया ने कहा कि मैं अपनी पोहरी की जनता से अपील करता हूं कि उनके हाथों में एक तरफ सिंधिया परिवार का झंडा है तो दूसरी तरफ ग्वालियर चंबल संभाग का।
 
प्रदेश में हो रहे उपचुनाव के एक तरह से ‘नायक’ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया, भाजपा में शामिल होने के बाद जब पहली बार भोपाल आए थे तो उन्होंने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को सीधे चुनौती देते हुए कहा था कि ‘टाइगर अभी जिंदा है’। वहीं चुनाव प्रचार के दौरान जब कांग्रेस ने सिंधिया और उनके साथ भाजपा में गए नेताओं को ‘गद्दार’ बताते हुए हमला किया तो सिंधिया ने पलटवार करते हुए खुद को खुद्दार बताते हुए कमलनाथ और दिग्विजय को प्रदेश के जनता के साथ ‘गद्दारी’ करने की बात कही।  
 
पूरे चुनाव के केंद्र में रहा ग्वालियर-चंबल जो प्रदेश की राजनीति में सिंधिया का गढ़ भी माना जाता है,वहां का वोटर चुनाव से पहले पूरी तरह खमोश है। ग्वालियर-चंबल की सियासत को लंबे अरसे से करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर राकेश पाठक कहते हैं कि चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा,वोटिंग से पहले कुछ भी कहा नहीं जा सकता। यह उपचुनाव पूरी तरह स्थानीय मुद्दो पर ही लड़ा गया है और एक तरह से ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत सिंधिया घराने की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। 
‘वेबदुनिया’ से बातचीत में डॉक्टर राकेश पाठक कहते हैं कि ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों के नतीजें निश्चित तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनीतिक भविष्य को तय करेंगे। सिंधिया अपने राजनीतिक जीवन में ऐसे दोहराए पर खड़े हुए हैं जहां उनके एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई। अगर भाजपा ग्वालियर-चंबल में सीटें हार जाती है तो सिंधिया की भाजपा में आगे की राह कांटों भरी होगी। 
ग्वालियर-चंबल में पूरा उपचुनाव सिंधिया के आसपास ही केंद्रित रहा और कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने का मुद्दा चुनाव प्रचार में पूरी तरह हावी दिखाई  दिया।वह आगे कहते हैं कि भाजपा ने चुनाव कमलनाथ बनाम शिवराज करने की खूब कोशिश की, भाजपा के चुनावी कैंपेन में भी सिंधिया एक तरह से साइडलाइन भी दिखाई दिए। पार्टी के चुनाव प्रचार के डिजिटिल रथों पर सिंधिया की फोटो नहीं होना भी खूब सुर्खियों में रहा,लेकिन चुनाव के आखिरी दौर में सिंधिया खुद अपने बयानों क चलते सुर्खियों में आ गए।

वहीं चुनाव प्रचार के आखिरी दिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने जिस तरह से सिंधिया पर निशाना साधते हुए उनकी कांग्रेस में वापसी की किसी भी संभावना को पूरी तरह खारिज कर दिया उसने भी सिंधिया को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सभी भ्रम को दूर कर दिया। 
 
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