भोपाल गैस त्रासदी : लोग मर रहे थे कलेक्टर एसपी अपराधी को भगा रहे थे...
भोपाल। सीजेएम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी पर एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह और पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने का आदेश दिया है।
सीजेएम भू-भास्कर यादव ने शनिवार को भोपाल गैस पीड़ित संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार और एडवोकेट शाहनवाज हुसैन द्वारा पेश परिवाद की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मामले में प्रस्तुत साक्ष्यों और दस्तावेजों से प्रथम दृष्टया दर्शित हो रहा है कि जहरीली गैस रिसाव में भोपाल के अंदर हजारों लोग मर रहे थे और जिले के मुखिया कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक अपनी बुद्धि और पूरे सिस्टम का उपयोग, आम जनता को बचाने के बजाय एक अपराधी को भगाने के लिए कर रहे थे।
आरोपियों को नोटिस जारी करते हुए 8 दिसंबर को पेश होने को कहा गया है। मामले में अन्य दस्तावेजों के साथ ही कोर्ट ने मोती सिंह द्वारा लिखी भोपाल गैस त्रासदी का सच और भोपाल गैस त्रासदी 25 साल नामक पुस्तकों को भी इस आदेश में आधार बनाया है।
अदालत ने मोती सिंह और स्वराज पुरी के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 212, 217 और 221 के तहत प्रकरण दर्ज किया जाए।
बताया गया है कि 15 जून 2010 में गैस पीडित संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार और अधिवक्ता शहनवाज हुसैन ने अदालत में एक परिवाद दायर किया था। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि जब लोग मर रहे थे तब तत्कालीन कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सरकारी संसाधनों को उपयोग कर भोपाल गैस त्रासदी के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को भोपाल से फरार करने में लगे थे और उनका आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने उसे भोपाल एयरपोर्ट भी पहुंचाया था।
भोपाल गैस त्रासदी मामले में वारेन एंडरसन को 7 जून 2010 को न्यायालय द्वारा दोषी और फरार घोषित किया गया था। इसके बाद अब्दुल जब्बार और अधिवक्ता शहनवाज हुसैन ने तत्कालीन कलेक्टर मोदी सिंह और पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की थी।
दो और तीन दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड कंपनी से एक जहरीली गैस 'मिथाइल आइसोसायनाइड' के रिसाव हुआ था। इसमें हजारों को लोगों की मौत हो गई थी तथा बड़ी संख्या में लोग आज भी इस गैस से प्रभावित है।