मंगलवार, 19 नवंबर 2024
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  4. Biggest victory is recorded in name of MLA Ramesh Mendola
Written By Author वृजेन्द्रसिंह झाला

विधायक रमेश मेंदोला के नाम पर दर्ज है सबसे बड़ी जीत

Ramesh Mandola
Biggest victory in Madhya Pradesh Assembly Elections: इंदौर की 2 नंबर विधानसभा सीट 1993 से भाजपा का गढ़ बनी हुई है। इससे पहले यहां कांग्रेस चुनाव जीतती रही है, जबकि 2 बार निर्दलीय उम्मीदवार भी इस सीट पर बाजी मार चुका है। इसके साथ ही भाजपा विधायक विधायक रमेश मेंदोला इस सीट पर सर्वाधिक वोटों से जीतने के रिकॉर्ड भी बना चुके हैं। 
 
इस सीट का इतिहास काफी रोचक है। 1957 में यहां से पहला चुनाव मजदूर नेता कॉमरेड होमी दाजी ने कांग्रेस के गंगाराम तिवारी को 5799 वोटों से हराकर जीता था। चूंकि ‍2 नंबर विधानसभा का बड़ा हिस्सा मिल एरिया के नाम से प्रसिद्ध है। एक समय यहां बड़ी संख्या में मिल मजदूर रहते थे। उन्हीं की बदौलत दाजी को जीत मिली। 1972 में होमी दाजी एक बार फिर यहां से चुनाव जीते। इस बार उनकी जीत का अंतर भी 33 हजार से ज्यादा था। 
 
कांग्रेस इस विधानसभा क्षेत्र से 6 बार चुनाव जीत चुकी है। 6 बार ही यहां से भाजपा ने चुनाव जीता है। कांग्रेस की ओर से गंगाराम तिवारी और कन्हैया लाल यादव दो-दो बार, जबकि यज्ञदत्त शर्मा और सुरेश सेठ एक-एक बार चुनाव जीत। दूसरी ओर, भाजपा के टिकट पर तीन बार कैलाश विजयवर्गीय और तीन बार रमेश मेंदोला चुनाव जीत चुके हैं। 
 
91 हजार वोटों से जीत का रिकॉर्ड : रमेश मेंदोला के नाम प्रदेश में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड दर्ज है। 2013 में उन्होंने कांग्रेस के छोटू शुक्ला को 91 हजार वोटों से हराया था। यह मध्यप्रदेश में किसी भी उम्मीदवार की सबसे बड़ी जीत थी। इस चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी जीत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की थी। उन्होंने यह चुनाव 84 हजार से ज्यादा वोटों से जीता था। वहीं, तीसरे नंबर पर दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह रहे, उन्होंने राघौगढ़ विधानसभा सीट से 58 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीता था। कांग्रेस उम्मीदवारों में यह सबसे बड़ी जीत थी। 
Indore election History
पहली बड़ी जीत दाजी को मिली थी : दो नंबर विधानसभा में पहली सबसे बड़ी जीत कॉमरेड होमी दाजी के नाम दर्ज है। उन्होंने 1972 में जनसंघ के मधुकर चंदवासकर को 33 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। दो नंबर के इस रिकॉर्ड को भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय ने तोड़ा। उन्होंने 2003 में कांग्रेस के अजय राठौर को करीब 36 हजार वोटों से हराया। कैलाश के कीर्तिमान को रमेश मेंदोला ने अगले ही चुनाव यानी 2008 में तोड़ दिया। उन्होंने भाजपा के सुरेश सेठ को करीब 40 हजार वोटों से हराया। 2013 में तो उन्होंने 91 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल कर नया कीर्तिमान रच दिया। 2018 का चुनाव रमेश मेंदोला ने 71 हजार से ज्यादा वोटों से जीता।
 
इस बार रमेश बनाम चिंटू : भाजपा ने 2023 में एक बार फिर रमेश मेंदोला पर ही दांव लगाया है, जबकि कांग्रेस ने नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे को उम्मीदवार बनाया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि चिंटू चुनाव में पूरी ताकत लगा रहे हैं, लेकिन 71 हजार वोटों का अंतर पाटना उनके लिए आसान नहीं होगा। हालांकि नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने उन 3 वार्डों पर जीत हासिल की थी, जहां पहले भाजपा का कब्जा था। हालांकि रमेश मेंदोला एक बार फिर अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं। 
 
क्या कहते हैं उम्मीदवार?
चौथी बार मैदान में : चौथी बार विधायक बनने के लिए मैदान में उतरे रमेश मेंदोला ने वेबदुनिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने क्षेत्र में काफी विकास किए हैं। चूं‍कि विकास सतत चलने वाली प्रक्रिया है, अत: आगे भी क्षेत्र में और विकास होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में और ज्यादा काम करने की जरूरत है। मेंदोला ने कहा कि भाजपा एक बार फिर प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है। 
सड़कों की हालत खराब : नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस प्रत्याशी चिंटू चौकसे को पूरा भरोसा है कि इस बार क्षेत्र की जनता का आशीर्वाद उन्हें मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस विधानसभा चुनाव में महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी सबसे बड़े मुद्दे हैं। नगर निगम चुनाव में कांग्रेस को इस क्षेत्र से अच्छे वोट मिले थे। चिंटू ने कहा कि शहर में सड़कों की हालत बहुत ज्यादा खराब है। सड़कों पर जगह-जगह गड्‍ढे हैं। 
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