मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. चंद्र ग्रहण
  4. 26 May 2021 के चंद्र ग्रहण के सूतक काल के बारे में जानिए
Written By अनिरुद्ध जोशी

26 मई 2021 के चंद्र ग्रहण के सूतक काल के बारे में जानिए

Lunar Eclipse | 26 May 2021 के चंद्र ग्रहण के सूतक काल के बारे में जानिए
इस साल दो बार चंद्रग्रहण होने वाला है। पहला ग्रहण 26 मई 2021 को वैशाख मास की पूर्णिमा को है। दूसरा चंद्रग्रहण 19 नवंबर को लगेगा। इसी साल दो सूर्य ग्रहण भी होंगे। पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को होगा और दूसरा 4 दिसंबर को लगेगा। 26 मई 2021 को होने वाले चंद्रग्रहण को खग्रास चंद्रग्रहण अर्थात पूर्ण चंद्रग्रहण माना जा रहा है। आओ जानते हैं सूतक काल के बारे में।
 
 
ग्रहण काल : 26 मई 2021 को लगने वाले चंद्र ग्रहण का सूतक प्रारंभ होगा सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर पर और ग्रहण प्रारंभ होगा दोपहर 3 बजकर 15 मिनट पर। खग्रास आरंभ होगा 4 बजकर 40 मिनट पर और ग्रहण का मध्‍यकाल होगा 4 बजकर 49 मिनट पर। जबकि खग्रास समाप्‍त होगा 4 बजकर 58 मिनट पर और ग्रहण समाप्‍त होगा 6 बजकर 23 मिनट पर। स्थानीय समय अनुसार इसके समय में भेद रहेगा। ग्रहण के 9 घंटे पूर्व ही सूतक काल लग जाता है।
 
 
नहीं होगा सूतक मान्य : ज्योतिषियों के अनुसार जहां-जहां ग्रहण दिखाई देगा वहां वहां सूतक काल मान्य होगा और जहां नहीं दिखाई देगा वहां मान्य नहीं होगा। भारत के अधिकांश हिस्सों में यह चंद्र ग्रहण नहीं दिखाई देगा। इसीलिए वहां सूतक काल मान्य नहीं होगा। जानकारों के अनुसार यह चंद्र ग्रहण ग्रहण भारत के पूर्वी राज्यों अरुणाचल, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, असम और मेघालय सहित बंगाल और पूर्वी उड़ीसा में भी देखा जा सकेगा। अत: इन राज्यों में सूतक मान्य होगा। इस ग्रहण को पूर्वोत्तर भारत के कुछ भागों में सायं 05:38 से 06:21 तक थोड़े समय के लिए देखा जा सकेगा। हालांकि भारत में इसे उपछाया ग्रहण की तरह माना जाएगा।
 
 
सूतक में क्या करते हैं : ग्रहण और सूतक के पहले यदि खाना तैयार कर लिया गया है तो खाने-पीने की सामग्री में तुलसी के पत्ते डालकर खाद्य सामग्री को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। ग्रहण के दौरान मंदिरों के पट बंद रखे जाते हैं। देव प्रतिमाओं को भी ढंककर रखा जाता है। ग्रहण के दौरान पूजन या स्पर्श का निषेध है। केवल मंत्र जाप का विधान है। ग्रहण के दौरान यज्ञ कर्म सहित सभी तरह के अग्निकर्म करने की मनाही होती है। ऐसा माना जाता है कि इससे अग्निदेव रुष्ट हो जाते हैं।