तुम्हारे अंगूरी नरम हाथों के लिए
पाब्लो नेरूदा
ताकि तुम सुन सको मुझेमेरे शब्दों कोकभी-कभी वे होते विरलसमुद्री चिड़ियों के पदचिह्नों-से समुद्र तटों परयह गलहार मदमस्त घण्टी,छैलकड़ी तुम्हारे अंगूरी नरम हाथों के लिएऔर मैं देखता अपने शब्दों को एक लम्बी दूरी सेमुझसे बहुत अधिक वे तुम्हारे हैं,लता की तरह मेरी पुरानी पीड़ाओं पर वे करते आरोहणजो चढ़ती सीलन-भरी दीवारों पर इसी तरीक़े से,इस निष्ठुर क्रीड़ा के लिए दोषी हो तुम,वे निकल भागते मेरे उदास-अंधेरे बिछौने से,सब कुछ भर देती हो, तुम भर देती हो सब कुछतुमसे पहले आबाद कर देते हैं मेरे शब्दउस एकान्त को, जहां तुम जगह लेती हो,और तुम्हारी बनिस्बत मेरी उदासी में अधिक काम के हैं वे!अब मैं उन्हें कहना चाहता हूं जो चाहता रहा हूं मैं तुम्हें कहनासुनने के लिए तैयार करते हुए कि; मैं चाहता हूं तुम सुनो मुझेव्यथा की हवाएं चुपचाप खींच ले जाती हैं हमेशा की तरहकभी-कभी सपनों के तूफान निश्शब्द खटखटाते हैं उन्हेंतुम ध्यान देती हो दूसरी आवाजों में मेरी दुखभरी अभिव्यक्ति के बीचजैसे पुराने सुने शोकगीत, पुरानी प्रार्थनाओं के स्वभाव, कुल-गोत्रप्यार करो मुझे मेरी साथी, यूं त्यागो नहीं,अनुसरण करो मेरा, मेरी मित्र, दुख की इस तेज लहर में।पर मेरे शब्द तो तुम्हारे प्रेम से रंगे हैंघेर लिया है सब कुछ तुमने, तुमने घेर लिया सभी कुछरच रहा हूं उन्हें एक अन्तहीन माला मेंतुम्हारे गोरे अंगूरों-से चिकने हाथों के लिए।