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Written By WD

जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है

अंजली तिवारी

Hindi Poetry | जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है

उल्लास है उमंग है, मन में तरंग है,

जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...

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मंद है पवन, न ही शीत-न ही गर्म है,

अंबर है स्वच्छ और चहचहाते विहंग हैं

खिल उठा किसान, देख जौ-फसल की बालियां,

सरसों-फूल-पत्तों से, सजे धरती और डालियां,

पुष्पित कुसुम, नव पल्लव, नई सुंगध है,

जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...

चारों ओर पीत रंग, आम-वृक्ष बौर खिले,

तीर्थ में मेला भरे, वृन्दावन में बिहारी सजें,

सरस्वती-पूजन लाए, जीवन में सुमति-गति,

ये रिवाज हैं जीवंत, क्योंकि आस्था अनंत है,

सूर्य जाए कुंभ में, मौसम सुखमय अत्यंत है,

जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...

पराग से मधु रसपान करें, मधुमक्खी, भवरें, तितलियां,

मौसम-सौंदर्य से गिरें, दिल पर सबके बिजलियां,

सृष्टि के कण-कण में, बजे प्यार का मृदंग है,

सजनी से मिले मीत, रति-काम उत्सव आरंभ है,

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कोयल की तान भी, छेड़े राग बसंत है

जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...

मन में उमड़े प्यार, मधुमास तले बेल बढ़े,

इस मौसम-सुगंध में, ऊर्जा बढ़े प्रेम बढ़े,

नई आस नया गीत, प्राण-वायु का संचार करे,

ये है श्रृंगार ऋतु, यौवन और बहार लिए,

दुल्हन-सा रुप धरे, जिसमें साजन-सी उमंग है,

ह्रदय में उड़ान, जैसे गगन में पतंग है,

उल्लास है उमंग है, मन में तरंग है,

जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...