अंगूठा बताएगा कैसे हैं आप....पढ़ें रोचक जानकारी
अंगूठा मानवीय चरित्र का सरलतम प्रतीक है। अंगूठा एक वह धुरी है जिस पर संपूर्ण जीवन चक्र घूमता रहता है। सफलता दिलवाने वाला अंगूठा सुडौल, सुंदर और संतुलित होना चाहिए। इच्छा व तार्किक बुद्धि एक-दूसरे के पूरक होने चाहिए। अंगूठे को मस्तिष्क का केंद्रबिन्दु बताया गया है।
अंगूठे में पहला पोर दृढ़ इच्छाशक्ति का सूचक है, दूसरा पोर तर्क और कारण का तथा तीसरा जो शुक्र पर्वत को घेरता है, वह मनोविकार को प्रकट करता है।
यह यदि पूर्णभरा हुआ और पुष्ट होगा तो मानव मनोविकारों के अधीन होगा। यदि दूसरा पोर कमजोर हुआ तथा मनोविकार का पुष्ट हुआ तो मनुष्य पथभ्रष्ट हो जाता है। यदि इच्छाशक्ति कमजोर है तथा अंतिम दोनों पेरुवे अच्छे, सुसंगठित हैं तो मनुष्य लम्पट होगा और दुराचार तथा अन्य दुर्गुणों में फंस जाएगा।
अंगूठे की जड़ में यदि सीधी रेखाएं हों तो उनकी संख्या के अनुसार उतने ही उसके पुत्र/संतानें होंगी, स्त्री के हाथ में यदि दूसरी संधि पर कोई तारे का चिह्न हो तो वह स्त्री अत्यधिक धनवाली होती है। अंगूठे की जड़ में से कोई एक रेखा शुक्र के ऊपर से होकर आयु रेखा में मिल जाए तो यह रेखा बहुत बड़ी संपत्ति दिलाती है। यदि ऐसी दो रेखाएँ हों तो बड़ी जायदाद और कुटुम्ब दोनों ही होते हैं।
* पहला पेरुवा मोटा, भारी और छोटा हो तो ऐसा व्यक्ति अचानक गुस्से में आकर किसी को कुछ भी हानि पहुँचा सकता है। पहला पोर चपटा होने से चाहे वह छोटा ही हो, उपरोक्त वर्णित गुणों में थोड़ी कमी आ जाएगी।
* अंगूठे का दूसरा पोर बड़ा रहने से तर्क, विवेक और कारण शक्ति से काम को सोच-समझकर करने की सूझबूझ उस व्यक्ति में रहती है। इसके साथ ही बुध पर्वत सुंदर हो या मस्तक रेखा गोलाईयुक्त लंबी हो तो तर्क, वाक्चातुर्य से वह व्यक्ति हर काम को सफल कर लेगा। मस्तिष्क रेखा टूटी हो, उसमें द्वीप हो तो अधिक छोटे अंगूठे वाला व्यक्ति आत्म नियंत्रण नहीं रख पाता।
* अंगूठे का छोटा होना शुभ नहीं है। छोटे अंगूठे में काम विकृति भी पैदा हो सकती है बशर्ते कि मंगल का पर्वत उभरा हुआ हो, शुक्र मुद्रिका हो और क्यालेस्विया की स्थिति मजबूत हो, यदि प्रथम पोर चीला हो तो व्यक्ति समाज में मिलनसार होगा, परिस्थिति के अनुसार झुक जाएगा। वैवाहिक जीवन ठीक रहेगा, कभी-कभी वह बाहरी दिखावा करेगा और यदि गुरु पर्वत तथा मस्तिष्क व हृदय रेखा समांतर पर है तो मित्रता करने में निपुण होगा।