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Written By DW
Last Modified: बुधवार, 17 सितम्बर 2014 (15:27 IST)

सुखी विवाह में पुरुषों की जिम्मेदारी

सुखी विवाह में पुरुषों की जिम्मेदारी - सुखी विवाह में पुरुषों की जिम्मेदारी
गले में माला पहनाने या अंगुली में अंगूठी बदलने के बाद विवाहित जिंदगी की हकीकत से सामना होता है। भारत में एक फीसदी तो जर्मनी में करीब एक तिहाई शादियों का अंत तलाक से होता है। कौन है लंबे, सुखी दाम्पत्य के लिए जिम्मेदार।

लंबे समय से शादीशुदा जोड़ों पर नजर रखने वाले रिसर्चरों की मानें तो सुखी दाम्पत्य की डोर महिलाओं के हाथों में होती है। अगर वे खुश हैं तो अच्छा साथ रहता है। इस मामले में पुरुष क्या सोचता है वह उतना अहम नहीं होता। रिसर्चर काफी समय से सुखी वैवाहिक जीवन के लिए जरूरी मसाले ढूंढने में लगे हैं। कौन-सी बातें हैं जो जोड़ों को एक दूसरे से दशकों तक बांध कर रखती हैं और कौन-सी बातें हैं जिनकी वजह से शादी के बाद जोश धीरे-धीरे कम होता जाता है।

पुरुषों की असंतुष्टि का असर नहीं : इसे ठीक से समझने के लिए न्यूजर्सी के रुटगर्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने करीब 400 जोड़ों की जिंदगी को खंगाला जो औसन 39 सालों से शादीशुदा थे।

इस रिसर्च से जो सबसे मजेदार बात पता चली वह यह कि दाम्पत्य सुख के लिए महिलाओं का संतुष्ट होना पुरुषों की संतुष्टि से ज्यादा जरूरी है। विवाह और परिवार पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार रिश्तों के बारे में पुरुष भले ही बहुत सकारात्मक तरीके से नहीं सोच रहा हो, जब तक महिला संतुष्ट हो सब कुछ ठीक-ठाक रहता है।

डेबोराह कार रुटगर्स यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र की प्रोफेसर हैं। वे परिवार में निभाई जाने वाली भूमिकाओं और रिश्ते के स्वास्थ्य पर होने वाले असर पर भी काम करती हैं। वैवाहिक सुख में महिलाओं की भूमिका के बारे में वे कहती हैं, 'मेरी राय में इसकी वजह यह है कि विवाह से संतुष्ट महिला अपने पति के लिए बहुत कुछ करती है जो उसकी जिंदगी पर सकारात्मक असर डालता है।'

महिलाओं के विपरीत पुरुष रिश्तों के बारे में ज्यादा बात नहीं करते, इसलिए महिलाएं उनके संतुष्ट या असंतुष्ट होने के बारे में ज्यादा जान भी नहीं पाती। इसका नतीजा यह होता है कि पुरुषों की असंतुष्टि महिलाओं पर असर नहीं डालती।