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Last Modified: मंगलवार, 17 मार्च 2015 (12:40 IST)

आसमान से आएगी बेतार बिजली

आसमान से आएगी बेतार बिजली - Wireless electricity
जापान ने बिजली के पोलों और तारों से मुक्ति पाने का तरीका खोजा। वैज्ञानिकों ने एक जगह से दूसरी जगह बिना तार के बिजली भेजने में ऐतिहासिक कामयाबी पाई।
जापानी वैज्ञानिकों ने अतिसूक्ष्म तंरगों का इस्तेमाल करते हुए 10 किलोवॉट बिजली को 500 मीटर दूर भेजा। प्रयोग की सफलता का दावा करते हुए मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज ने कहा, 'अपने प्रयोग के जरिए हमने दिखा दिया है कि भविष्य में व्यावसायिक रूप से बेतार बिजली भेजना मुमकिन है।'
 
मित्सुबिशी के बयान जापान की एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) की ऐसी ही खोज के बाद आया। इससे एक दिन पहले जाक्सा के वैज्ञानिकों ने भी 100 फीसदी अचूक तरीके से 1.8 किलोवॉट बिजली 55 मीटर दूर भेजी।
 
तकनीक को बेहतर कर भविष्य में अंतरिक्ष से धरती पर बिजली भेजी जा सकेगी। जाक्सा के प्रवक्ता ने प्रयोग संबंधी जानकारी देते हुए कहा, 'यह पहला मौका है जब कोई दो किलोवॉट जितनी बड़ी मात्रा में बिजली को माइक्रोवेव्स के जरिए एक छोटे टारगेट पर भेजने में सफल हुआ है। इसके लिए बेहद अत्याधुनिक कंट्रोल डिवाइस का इस्तेमाल किया गया।'
 
जाक्सा लंबे समय से अंतरिक्ष के लिए सोलर पावर सिस्टम बनाने की कोशिश कर रही है। धरती के मुकाबले अंतरिक्ष में सौर ऊर्जा पैदा करने के फायदे ज्यादा हैं। वहां मौसम की मार नहीं पड़ेगी और दिन व रात का चक्कर भी नहीं होगा।
 
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन और कई अन्य इंसानी उपग्रह लंबे समय से आकाश में सौर ऊर्जा के मदद से ही बिजली जुटाते हैं। ऐसी बिजली को धरती पर लाना अब तक वैज्ञानिकों को एक स्वप्निल कल्पना की तरह लगता रहा। लेकिन जापानी वैज्ञानिकों की खोज बता रही है कि एक दिन इंसान अंतरिक्ष से धरती पर बिजली ला सकेगा। जाक्सा के प्रवक्ता कहते हैं, 'इस तकनीक को व्यवहार में लाने में दशकों लग सकते हैं, शायद 2040 या उसके बाद।'
 
वैज्ञानिक इस राह की चुनौतियों से भी वाकिफ हैं। धरती से 36,000 किलोमीटर की दूरी पर सोलर पैनलों का ढांचा स्थापित करना और वहां से पृथ्वी तक बिजली लाना आसान नहीं। जाक्सा के मुताबिक अंतरिक्ष से बिजली लाने के लिए विशाल ढांचों को आकाश में भेजना होगा। उन्हें बनाने और उनके रखरखाव के तरीके भी खोजने होंगे।
 
अंतरिक्ष में सौर ऊर्जा बनाने का विचार 1960 के दशक में अमेरिकी और जापानी वैज्ञानिकों को आया। 2009 में जापान ने इस प्रोजेक्ट को वित्तीय मदद देकर शुरू किया। द्वीपों से बना देश जापान बिजली के लिए परमाणु ऊर्जा, कोयले और जैविक ईंधन पर निर्भर है। 2011 के फुकुशिमा हादसे के बाद से ही देश में परमाणु ऊर्जा को लेकर बहस छिड़ी हुई है। ऐसे में टोक्यो ऊर्जा के लिए एक बिल्कुल नया रास्ता खोजना चाह रहा है।
 
- ओएसजे/आरआर (एएफपी)