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Last Modified: बुधवार, 1 जुलाई 2015 (14:23 IST)

दूर रखें दांत की बीमारी

दूर रखें दांत की बीमारी - Tooth disease
अक्सर डेंटिस्ट के पास ऐसे मामले पहुंचते हैं जिसमें बच्चे का दांत आधा टूटा हुआ होता है। क्यों होता है ऐसा?
 
दांतों के विशेषज्ञ एच कोलोन श्मिट बताते हैं कि जर्मनी में 10 फीसदी बच्चों को यह समस्या होती है। जबकि कई अन्य देशों में यह समस्या और भी ज्यादा है। लेकिन जानकारी और सतर्कता के साथ इसे टाला जा सकता है।
 
इस समस्या से जूझ रहे बच्चों को ब्रश करने में भी दर्द या पानी लगने की दिक्कत हो सकती है। कई बच्चों के दांतों में पीलेपन या भूरी रंगत की शिकायत होती है जिससे इसकी शुरुआत को भांपा जा सकता है। आमतौर पर यह समस्या 6 साल की उम्र में होती हैं।
 
रिसर्चर इसके कारण जानने की कोशिश कर रहे हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। गर्भ में लगी कोई चोट या फिर किसी तरह का संक्रमण जैसे खसरा इत्यादि। गर्भावस्था के दौरान मां के अनियमित खानपान से भी बच्चों में दांत आधे टूटने की समस्या हो सकती है।
 
गर्भावस्था के दौरान मां के शरीर में खनिज की कमी होने पर भी बच्चे का दांत आधा झड़ सकता है। हालांकि 100 फीसदी सही जानकारी अभी भी रिसर्चरों के पास नहीं है।
 
ज्यादातर बच्चों में यह बीमारी पीछे के दांतों में होती है। लेकिन कई बार यह सामने के दांत में पाया जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इस समस्या का हल नहीं है।
 
अस्थायी तौर पर आराम देने के लिए दांत पर एक कवच नुमा कैप चढ़ाई जाती है ताकि संवेदनशील दांत को और नुकसान से बचाया जा सके। अगर दांत बहुत ही बुरी हालत में हो तो उसे उखाड़ना पड़ सकता है।