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Last Updated : शुक्रवार, 12 अगस्त 2016 (13:45 IST)

टाइम बम जैसे विवाद

टाइम बम जैसे विवाद - The disputed area of the world
दुनिया भर में कुछ ऐसे विवाद हैं जो कभी भी युद्ध भड़का सकते हैं। ये सिर्फ दो देशों को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को लड़ाई में खींच सकते हैं।
दक्षिण चीन सागर : बीते दशक में जब यह पता चला कि चीन, फिलीपींस, वियतनाम, ताइवान, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, सिंगापुर और कंबोडिया के बीच सागर में बेहद कीमती पेट्रोलियम संसाधन है, तभी से वहां झगड़ा शुरू होने लगा। चीन पूरे इलाके का अपना बताता है। वहीं अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल चीन के इस दावे के खारिज कर चुका है। बीजिंग और अमेरिका इस मुद्दे पर बार बार आमने सामने हो रहे हैं।
 
पूर्वी यूक्रेन/क्रीमिया : 2014 में रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप को यूक्रेन से अलग कर दिया। तब से क्रीमिया यूक्रेन और रूस के बीच विवाद की जड़ बना हुआ है। यूक्रेन क्रीमिया को वापस पाना चाहता है। पश्चिमी देश इस विवाद में यूक्रेन के पाले में है।
 
कोरियाई प्रायद्वीप : उत्तर और दक्षिण कोरिया हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहते हैं। उत्तर कोरिया भड़काता है और दक्षिण को तैयारी में लगे रहना पड़ता है। दो किलोमीटर का सेनामुक्त इलाका इन देशों को अलग अलग रखे हुए हैं। उत्तर को बीजिंग का समर्थन मिलता है, वहीं बाकी दुनिया की सहानुभूति दक्षिण के साथ है।
 
कश्मीर : भारत और पाकिस्तान के बीच बंटा कश्मीर दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य मौजूदगी वाला इलाका है। दोनों देशों के बीच इसे लेकर तीन बार युद्ध भी हो चुका है। 1998 में करगिल युद्ध के वक्त तो परमाणु युद्ध जैसे हालात बनने लगे थे।
 
साउथ ओसेटिया और अबखासिया : कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे इन इलाकों पर जॉर्जिया अपना दावा करता है। वहीं रूस इनकी स्वायत्ता का समर्थन करता है। इन इलाकों के चलते 2008 में रूस-जॉर्जिया युद्ध भी हुआ। रूसी सेनाओं ने इन इलाकों से जॉर्जिया की सेना को बाहर कर दिया और उनकी स्वतंत्रता को मान्यता दे दी।
 
नागोर्नो-काराबाख : नागोर्नो-काराबाख के चलते अजरबैजान और अर्मेनिया का युद्ध भी हो चुका है। 1994 में हुई संधि के बाद भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। इस इलाके को अर्मेनिया की सेना नियंत्रित करती है। अप्रैल 2016 में वहां एक बार फिर युद्ध जैसे हालात बने।
 
पश्चिमी सहारा : 1975 में स्पेन के पीछे हटने के बाद मोरक्को ने पश्चिमी सहारा को खुद में मिला लिया। इसके बाद दोनों तरफ से हिंसा होती रही। 1991 में संयुक्त राष्ट्र के संघर्षविराम करवाया। अब जनमत संग्रह की बात होती है, लेकिन कोई भी पक्ष उसे लेकर पहल नहीं करता। रेगिस्तान के अधिकार को लेकर तनाव कभी भी भड़क सकता है।
 
ट्रांस-डिनिएस्टर : मोल्डोवा का ट्रांस-डिनिएस्टर इलाका रूस समर्थक है। यह इलाका यूक्रेन और रूस की सीमा है। वहां रूस की सेना तैनात रहती है। विशेषज्ञों के मुताबिक पश्चिम और मोल्डोवा की बढ़ती नजदीकी मॉस्को को यहां परेशान कर सकती है।
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