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Last Modified: मंगलवार, 12 मई 2015 (11:15 IST)

शिया विद्रोहियों पर हमले में शामिल सुन्नी देश

शिया विद्रोहियों पर हमले में शामिल सुन्नी देश - Saudi Arabia vs. Iran: The Sunni-Shiite Proxy Wars
सऊदी अरब के नेतृत्व वाली गठबंधन सेनाएं 26 मार्च से यमन में हॉसी विद्रोहियों और उनके सहयोगियों के ठिकानों पर बमबारी कर रही हैं। सुन्नी शासन वाले अरब देश यमन में शिया हॉसी विद्रोहियों के खिलाफ लड़ रहे हैं।
सऊदी अरब यमन में विद्रोहियों के ठिकानों पर बमबारी करने वाले देशों को नेतृत्व दे रहा है। सऊदी अरब ने इसके लिए 100 लड़ाकू विमान लगा रखे हैं और अपने 150,000 सैनिकों तथा नौसेना को तैनात कर रखा है। सऊदी सेना ने यमनी हवाई अड्डों के अलावा हॉसी विद्रोहियों के ठिकानों और मिसाइल अड्डों को निशाना बनाया है। रविवार को पूर्व राष्ट्रपति सालेह के घर को भी निशाना बनाया गया
 
यमन पर हमले में दूसरे सुन्नी अरब देश सऊदी अरब की मदद कर रहे हैं। अमीरात के सात देशों के 30 लड़ाकू विमान यमन में स्कड रॉकेटों और विद्रोहियों के ठिकानों पर हमलों में शामिल हैं। मोरक्को ने अपने छह विमान अभियान में भेजे हैं जिसमें से एक को रविवार को कथित रूप से मार गिराया गया है।
 
इनके अलावा कुवैत ने अभियान के लिए 15 और बहरीन ने 12 लड़ाकू विमान दिए हैं, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि हमलों में उनकी क्या भूमिका है और क्या उन्होंने अब तक हुए हमलों में हिस्सा लिया है। कतर ने यमनी अभियान के लिए 10 विमान दिए हैं। यह जानकारी अमीरात की समाचार एजेंसी ने दी है। कतर ने अभियान में अपनी हिस्सेदारी के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं दी है। सुडान ने चार लड़ाकू विमान दिए हैं और भूमिगत अभियान के लिए 6,000 सैनिक भेजने का वादा किया है। मिस्र ने भी विमान और सैनिक मुहैया करने का वादा किया है।
 
अभी तक यमन पर हवाई हमले होते रहे हैं और भूतल सेनाओं को नहीं भेजा गया है। लेकिन मिस्र और सुडान के अलावा सेनेगल ने 2,000 सैनिक भेजने का वादा किया है। सेनेगल भी सऊदी अरब की तरह सुन्नी देश है और पिछले सालों में उसे सऊदी अरब से काफी आर्थिक मदद मिली है। उधर अमेरिका ने सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन को ढांचागत मदद दी है। अमेरिका ने अमीरात और सऊदी विमानों की हवाई टैंकिंग की है और इनके अलावा लॉजिस्टिक और इंटेलिजेंस सपोर्ट दिया है। उसने खुद हवाई हमलों में हिस्सा नहीं लिया है।
 
जॉर्डन ने सऊदी अरब को समर्थन देने की बात कही है लेकिन हमले में वह किस तरह से शामिल है यह नहीं बताया है। समर्थन मांगे जाने के बावजूद पाकिस्तान ने कई दिनों की बहस के बाद तटस्थ रहने का फैसला किया है। पाकिस्तान की संसद ने यह फैसला किया और लड़ाई में शामिल दलों से विवाद का निबटारा शांतिपूर्ण तरीके से करने की अपील की। सोमालिया ने गठबंधन का समर्थन किया है जबकि मलेशिया ने कहा है कि उसके ट्रांसपोर्ट जहाज यमन से मलेशिया के नागरिकों को बाहर निकालने के लिए हैं।
 
इस बीच यमन में मानवीय स्थिति लगातार बिगड़ रही है। मोरक्को के विमान को मार गिराए जाने के बाद युद्धविराम की संभावना कम हो गई है जबकि लोगों को जरूरी सामान नहीं मिल रहा है।