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Last Modified: गुरुवार, 16 मार्च 2017 (11:53 IST)

हिजाब पहनने पर बैन लगा सकेंगी यूरोपीय कंपनियां

हिजाब पहनने पर बैन लगा सकेंगी यूरोपीय कंपनियां | hijab
यूरोपीय संघ के देशों में कंपनियां अपने कर्मचारियों को हिजाब जैसे किसी धर्म, दर्शन या राजनीतिक दल विशेष के प्रतीकों को पहनने से रोक सकेंगी। सर्वोच्च ईयू अदालत के इस फैसले से कई धार्मिक नेता और मानवाधिकार समूह नाराज हैं।
पूरे यूरोप में एक विवादित मुद्दा बन चुके हिजाब पर ईयू के कोर्ट ऑफ जस्टिस का पहला फैसला आया है। कोर्ट ने बेल्जियम की एक कंपनी के उस नियम के पक्ष में निर्णय दिया, जो ग्राहकों के साथ काम करने वाले कर्मचारियों को हिजाब जैसे किसी भी धार्मिक या राजनीतिक प्रतीक को पहनने से रोकता है। कंपनी ने हिजाब पहनने वाली अपनी एक रिसेप्शनिस्ट को नौकरी से निकाल दिया था, लेकिन इसे वह मुसलमानों के साथ भेदभाव के तौर पर नहीं देखती। इसके साथ ही एक और फ्रेंच मुकदमे का फैसला भी आया है। फ्रांस में भी सरकारी दफ्तरों में हेडस्कार्फ पहनने पर प्रतिबंध है।
 
लेकिन बेल्जियम की कंपनी में नौकरी से निकाली गयी कर्मचारी का समर्थन कर रहे कुछ समूहों का कहना है कि कोर्ट के इस फैसले से कई मुसलमान महिलाएं वर्कफोर्स से बाहर हो सकती हैं। इस्लाम के यूरोपीय धार्मिक नेता रब्बाई ने कोर्ट पर पहले से ही समाज में जारी घृणा अपराधों को बल देने का आरोप लगाया है। उनका मानना है कि इससे यह संदेश जाएगा कि अलग अलग "आस्थाएं रखने वाले समुदायों का यहां स्वागत नहीं है।"
 
लक्जमबर्ग में लगी अदालत ने नौकरी से निकाली गयी दो महिलाओं के इस आरोप को खारिज किया है कि उनको निकाले जाने से ईयू के धार्मिक भेदभाव ना करने के कानून का उल्लंघन हुआ है। फ्रेंच इंजीनियर आसमा बगनवी को माइक्रोपोल नाम की सॉप्टवेयर कंपनी ने एक ग्राहक की शिकायत के बाद निकाला था। इसे आसमा धार्मिक भेदभाव से जुड़ा मामला मानती हैं।
 
वहीं बेल्जियम में जी4एस नाम की कंपनी ने 2006 में रिसेप्शनिस्ट समीरा अक्बिता को निकाला था। कंपनी की नीति है कि ग्राहकों से मुलाकात करने वाले सभी कर्मचारी अपने ड्रेस कोड में धार्मिक और राजनीतिक संदेश देते नहीं दिखने चाहिए। कॉन्फ्रेंस ऑफ यूरोपियन रब्बाईज के अध्यक्ष पिंचास गोल्डश्मिट शिकायत करते हुए कहते हैं, "यह फैसला यूरोप के सभी धार्मिक समूहों के लिए एक संकेत है।" यूरोप के कई देशों की राष्ट्रीय अदालतों में ऐसे मुकदमे चल रहे हैं, जिनमें मसला ईसाई प्रतीक क्रॉस, सिखों की पगड़ी, यहूदी स्कलकैप आदि पहनने की आजादी का है।
 
तुर्की ने यूरोपीय कोर्ट के फैसले की निंदा करते हुए इसे मुस्लिम विरोधी भावना बढ़ाने का जिम्मेदार बताया है। तुर्की ने एक महीने पहले ही अपने यहां महिला अधिकारियों के हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया था। तुर्की की सेना को आधिकारिक तौर पर धर्मनिरपेक्ष रखने के मकसद से ही अब तक हिजाब मुक्त रखा गया था। लेकिन अब वहां से भी इसे हटा लिया गया है।
 
- आरपी/एके (एएफपी, डीपीए)
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