शुक्रवार, 29 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. mayawati
Written By
Last Modified: मंगलवार, 14 मार्च 2017 (11:14 IST)

मायावती की बीएसपी खत्म हो गई है?

मायावती की बीएसपी खत्म हो गई है? - mayawati
उत्तर प्रदेश के इन विधानसभा चुनावों को बीजेपी की धमाकेदार जीत के साथ साथ मायावती की बहुजन समाज पार्टी के सफाये के लिए भी याद रखा जाएगा। सवाल उठता है क्या बीएसपी खत्म हो गई है?
हाल के सालों में उत्तर प्रदेश में दलित वोटबैंक मायावती के पीछे एकजुट रहा है। इसीलिए कोई भी विश्लेषक चुनावों से पहले बीएसपी को सत्ता की रेस बाहर बताने का जोखिम नहीं उठाना चाहता। लेकिन आम चुनाव के बाद अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों से एक बार फिर साफ हो गया है कि पार्टी की जमीन खिसक रही है। आम चुनावों में बीएसपी का खाता भी नहीं खुल पाया था और अब विधानसभा चुनाव में वह 20 का आंकड़ा भी छूती नहीं दिख रही है।
 
सिर्फ दस साल में पार्टी अर्श से फर्श पर आ गई है। 2007 में अपने दम पर बहुमत की सरकार बनाने वाली बसपा को 2012 में शिकस्त का सामना करना पड़ा और पार्टी के विधायकों की संख्या 206 से घटकर 80 पर आ गई। लेकिन इस बार के विधानसभा चुनावों ने साफ कर दिया है कि मायावती और उनकी पार्टी के लिए अब संभावनाएं ज्यादा नहीं बची हैं।
 
जिस सोशल इंजीनियरिंग को उनकी खूबी समझा जाता था, उसमें दम नहीं बचा है। मायावती जिस तरह बड़े जनाधार वाली नेता रही है, उसे देखते हुए उनके लिए यह बात हजम करना मुश्किल होगा कि इस समय मोदी सब पर भारी हैं। लेकिन सच यही है। नोटबंदी से लेकर दाल और गैस सिलेंडर के बढ़ते दामों की परवाह किये बिना लोगों ने यूपी में बीजेपी को प्रचंड बहुमत दिया है।
 
इस चुनाव में मायावती ने अपने आपको बदलने की कोशिश भी की। पत्रकारों से परहेज करने वाली मायावती खूब प्रेस कांफ्रेस करती दिखीं। पार्टी ने सोशल मीडिया का सहारा भी लिया, जिंगल और गीत भी बनवाए। लेकिन सूबे में बह रही सियासी हवा का रुख वह नहीं भांप पायीं।
बीएसपी संस्थापक कांशीराम के जमाने में पार्टी मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे देश के कई इलाकों में मौजूदगी रखती थी। लेकिन मायावती के आने के बाद बीएसपी मुख्य तौर पर उत्तर प्रदेश की पार्टी हो गई। 2007 के चुनाव में मिले बहुमत के बाद किसी ने अन्य राज्यों में पार्टी के सिमटते आधार पर कोई ध्यान नहीं दिया। लेकिन अब उत्तर प्रदेश में भी बीएसपी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
 
इन नतीजों से एक बार फिर साबित हो गया है कि अब मुसलमान वोटर भी मायावती पर विश्वास नहीं करते। बड़ी संख्या में मुसलमान उम्मीदवारों को टिकट देकर भी मायावती मुसलमानों का भरोसा नहीं जीत पाईं।
 
आम चुनाव के बाद यूपी के विधानसभा चुनाव मायावती के लिए अस्तित्व की लड़ाई थी, जिसे फिलहाल वह हार गई हैं। मायावती के लिए यहां से आगे का रास्ता बहुत कठिन है। लगातार दो हारों के बाद उनके लिए पार्टी और कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए आसान नहीं होगा। मायावती पर न सिर्फ अपने तौर तरीके बदलने का दबाव होगा, बल्कि उनके खिलाफ पार्टी के भीतर आवाजें तेज हो सकती हैं। हालांकि अभी तक ऐसी सभी आवाजों को वह दबाती रही हैं। लेकिन सब कुछ गंवाने के बाद क्या ऐसा करना उनके लिए संभव होगा?
 
रिपोर्ट: अशोक कुमार
ये भी पढ़ें
क्या भगवान से आपकी मुलाक़ात हुई थी अंतरिक्ष में?