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Last Modified: बुधवार, 11 मार्च 2015 (12:13 IST)

कभी पानी से लबालब था मंगल

कभी पानी से लबालब था मंगल - Mars
कभी मंगल ग्रह का 20 फीसदी हिस्सा पानी से ढका था और फिर वहां भी जलवायु परिवर्तन हुआ। लाल ग्रह को लेकर नासा की ऐतिहासिक खोज।
 
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक लाल ग्रह कहे जाने वाले मंगल में कभी एक विशाल समंदर था, जो एक बड़े इलाके में फैला था। इसकी गहराई भूमध्यसागर के बराबर रही होगी। विज्ञान पत्रिका साइंस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सागर ने लाल ग्रह का करीब 20 फीसदी हिस्सा घेर रखा था। कुछ जगहों पर इसकी गहराई 1।6 किलोमीटर तक थी।
 
शोध के प्रमुख लेखक और अर्जेंटीना के वैज्ञानिक जेरोनिमो विलानुएवा के मुताबिक उनका शोध पहली बार पुख्ता आधार पर बता रहा है कि मंगल पर कभी कितना पानी था। वैज्ञानिकों को लगता है कि वक्त के साथ लाल ग्रह का 87 फीसदी पानी वाष्पीकृत होकर अंतरिक्ष में समा गया। विलानुएवा कहते हैं, 'इस काम से हम मंगल में पानी के इतिहास को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे।'
 
दो तरह का पानी : शोध के सह लेखक माइकल मम्मा के मुताबिक यह खोज दिखाती है कि कभी मंगल जीवन के मुफीद जगह रही होगी, 'मंगल पहले के अनुमानों से उलट, कहीं ज्यादा लंबे वक्त तक गीला रहा होगा। इससे संकेत मिलता है कि ग्रह लंबे समय तक रहने लायक रहा होगा।'
 
दुनिया की तीन सबसे शक्तिशाली दूरबीनों का इस्तेमाल कर वैज्ञानिक इस नतीजे पर भी पहुंचे हैं कि वातावरण में दो तरह का पानी है। एक जिसे हम जानते हैं, H2O यानि दो हाइड्रोजन और एक ऑक्सीजन का अणु।
 
दूसरे को वैज्ञानिक HDO कहते हैं। इसमें हाइड्रोजन के एक अणु की जगह हाइड्रोजन का दूसरा लेकिन भारी अणु आ जाता है। इसे डुटेरियम कहा जाता है। HDO और H2O का आनुपातिक विश्लेषण कर वैज्ञानिक मापते हैं कि कितना पानी अंतरिक्ष में समा चुका है।
 
नासा का कहना है कि इन नतीजों का इस्तेमाल भविष्य में कई प्रयोगों में होगा। इससे पता चलेगा कि मंगल ग्रह पर जलवायु परिवर्तन कैसे हुआ और इससे क्या बदलाव हुए। नासा 2030 के दशक में इंसान को मंगल ग्रह पर पहुंचाना चाहती है।
 
- गाब्रिएल बोरुड/ओएसजे