भारत: कुल प्रजनन दर देशभर में घटकर 2 रह गई
भारत की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या राष्ट्रीय स्तर पर 2.2 से घटकर 2 हो गई है। देश में प्रजनन दर 2.1 से नीचे आने से जनसंख्या अब स्थिर मानी जा रही है। बुधवार को जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के आंकड़ों के मुताबिक देश की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) घटकर दो हो गई है। 2016 में यह दर 2.2 थी। इसका मतलब है कि देश की जनसंख्या की वृद्धि दर स्थिर होने का संकेत है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आई है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद कुमार पॉल और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव राजेश भूषण ने देश के 14 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जनसंख्या, प्रजनन और बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण और अन्य पर प्रमुख संकेतकों की फैक्टशीट जारी की।
सर्वेक्षण से पता चला है कि मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड और उत्तरप्रदेश को छोड़कर सभी चरण 2 राज्यों ने प्रजनन क्षमता का प्रतिस्थापन स्तर (2.1) हासिल कर लिया है। सर्वेक्षण में पाया गया है कि समग्र गर्भनिरोधक प्रसार दर (सीपीआर) राष्ट्रीय स्तर पर और पंजाब को छोड़कर लगभग सभी चरण 2 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों में 54 प्रतिशत से बढ़कर 67 प्रतिशत हो गई है। लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासितप्रदेशों में गर्भ निरोधकों के आधुनिक तरीकों का उपयोग भी बढ़ा है।
देश के 707 जिलों में सर्वेक्षण
एनएफएचएस-5 सर्वेक्षण देश के 707 जिलों के लगभग 6.1 लाख सैंपल परिवारों में किया गया है, जिसमें जिला स्तर तक अलग-अलग अनुमान प्रदान करने के लिए 7,24,115 महिलाओं और 1,01,839 पुरुषों को शामिल किया गया।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्वेक्षण के प्रमुख संकेतकों से पता चला है कि परिवार नियोजन की जरूरतों में अखिल भारतीय स्तर पर और दूसरे चरण के अधिकांश राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों में 13 प्रतिशत से 9 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई है। अंतराल की आवश्यकता, जो पहले भारत में एक प्रमुख मुद्दा बनी हुई थी, झारखंड को छोड़कर सभी राज्यों में 12 प्रतिशत और अरुणाचल प्रदेश और उत्तरप्रदेश दोनों में 13 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत से भी कम रह गई है।
बच्चों के पोषण में सुधार का दावा
सर्वे में दावा किया गया है कि बच्चों के पोषण में मामूली सुधार हुआ है। स्टंटिंग 38 प्रतिशत से घटकर 36 प्रतिशत हो गया है और कम वजन 36 प्रतिशत से घटकर 32 प्रतिशत हो गया है। लेकिन यह परिवर्तन महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि इन संकेतकों के संबंध में बहुत कम अवधि में भारी बदलाव की संभावना नहीं है।