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Written By DW
Last Modified: गुरुवार, 11 सितम्बर 2014 (14:25 IST)

तीस साल में सबसे ज्यादा CO2

तीस साल में सबसे ज्यादा CO2 - Co2
विश्व मौसम संस्थान के मुताबिक पिछले साल वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर पिछले तीस सालों में सबसे ज्यादा बढ़ा। संस्थान ने जलवायु परिवर्तन के बढ़ रहे खतरों की चेतावनी देते हुए फौरन जरूरी कदम उठाने की मांग की है।

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व मौसम संस्थान डब्ल्यूएमओ के मुताबिक कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन की दर पिछले साल 1984 के बाद से सबसे ज्यादा रही। यही कारण है कि पृथ्वी पर गर्मी पैदा करने वाली ग्रीन हाउस गैसों का स्तर रिकॉर्ड पर पहुंच गया। मध्य 18वीं सदी में औद्योगिक क्रांति आने से पहले के मुकाबले अब वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड की सघनता 42 फीसदी ज्यादा पाई गई।

तब से अब तक मीथेन का स्तर 153 फीसदी बढ़ा है और नाइट्रस ऑक्साइड के स्तर में भी 21 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। विश्व मौसम संस्थान के महासचिव माइकल जेराड ने कहा, 'हमें कार्बन डाई ऑक्साइड और दूसरी ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करके इस चलन को रोकना होगा।' कोयले और तेल के ईंधन के रूप में इस्तेमाल होने और सीमेंट इत्यादि के उत्पादन में, जिसमें बहुत ऊर्जा खर्च होती है, बड़ी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड गैस निकलती है।

हालांकि डब्ल्यूएमओ का यह भी कहना है कि पिछले साल हुए भारी उत्सर्जन के लिए सिर्फ ईंधन का जलना जिम्मेदार नहीं है। डब्ल्यूएमओ ने इसके लिए जैव ईंधनों की मात्रा में बढ़ोतरी और गैसों के वायुमंडल और जैव मंडल के बीच अदला बदली को भी जिम्मेदार ठहराया। हालांकि ज्यादातर कार्बन डाई ऑक्साइड वायुमंडल में चली जाती है लेकिन इसका बड़ा हिस्सा महासागरों में घुल जाता है। यह पानी को और अम्लीय बना रही है। इसका समुद्री जीवों पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

- एसएफ/एएम (डीपीए)