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Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 23 मई 2017 (21:10 IST)

1996 और 2003 में विश्व कप न उठा पाने का अफसोस : सचिन तेंदुलकर

1996 और 2003 में विश्व कप न उठा पाने का अफसोस : सचिन तेंदुलकर - Sachin Tendulkar
नई दिल्ली। क्रिकेट के बेताज बादशाह सचिन तेंदुलकर को भी इस बात का गहरा अफसोस है कि वे 1996 और 2003 में विश्व कप ट्रॉफी नहीं उठा पाए। हालांकि उनका यह सपना 2011 में पूरा हो गया था। अपने जीवन पर बनी फिल्म 'सचिन : ए बिलियन ड्रीम्स' के प्रचार में लगे मास्टर ब्लास्टर ने एक साक्षात्कार में कहा कि मुझे इस बात का अब भी अफ़सोस है कि मैं 1996 और 2003 दोनों बार ट्रॉफी नहीं उठा पाया। जब भी आप किसी टूर्नामेंट में उतरते हैं खासतौर पर विश्वस्तर के तो आप यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आप ट्रॉफी उठाएं। कुछ ही बार आप ऐसा कर पाते हैं।
 
मास्टर ब्लास्टर ने कहा कि वास्तव में कुछ टीमों ने दो या उससे ज्यादा बार ऐसा किया हैं वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया ने यह करिश्मा किया। भारत ने भी 2011 में दूसरी बार यह ट्रॉफी उठाई लेकिन मुझे लगता है कि यदि हमें 2003 का फाइनल आज खेलने दिए जाए तो खिलाड़ियों का मैच के प्रति दृष्टिकोण ही कुछ अलग होगा। हम सभी उस मैच में पहले ही ओवर से उत्साहित थे। वह एक बड़ा क्षण था। यदि उन खिलाड़ियों को एक और मौका दिया तो उनका मैच के प्रति अंदाज ही अलग होगा, क्योंकि ट्वेंटी 20 के आगमन से खेल के प्रति नजरिया बिल्कुल बदल चुका है।
 
सचिन ने कहा कि उस समय 358 का स्कोर एवरेस्टनुमा दिखाई देता था। आज भी यह वैसा ही स्कोर होगा लेकिन 2003 के मुकाबले अब यह उतना मुश्किल नहीं लगेगा। अब 434 का भी पीछा किया जाता है। हमने भी कई बार तीन विकेट पर 325 रन बना रखे हैं। यह सब इस कारण हैं कि फॉर्मेट बदला है, नियम भी कुछ बदले हैं और परिस्थितियां भी बदली हैं। क्रिकेट के सबसे बड़े बल्लेबाज ने कहा कि मुझे लगता है कि ट्वेंटी 20 के आने से सोच भी बदल गई है। अब खिलाड़ी बड़े लक्ष्य के सामने घबराते नहीं है इसलिए मैं कह रहा हूं कि अब हमारा दृष्टिकोण अलग होता। (वार्ता) 
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