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Last Modified: कराची , सोमवार, 18 मई 2015 (23:16 IST)

रजा अब भी कांप जाते हैं 2009 की यादों से

रजा अब भी कांप जाते हैं 2009 की यादों से - Ahsan Raza
कराची। लाहौर में छह साल पहले श्रीलंकाई टीम और मैच अधिकारियों पर हुए जानलेवा आतंकी हमले में बचने वाले अंपायर अहसान रजा अब भी उस दिन की खौफनाक यादों से कांप उठते हैं।
इस अंतरराष्ट्रीय अंपायर ने साक्षात्कार में कहा, ‘मुझे अब भी वह दिन याद है। वे पल जबकि हमारी गाड़ी पर हमला किया गया मेरी जिंदगी के दुस्वप्न जैसी थी लेकिन उस घटना के बाद भी मैं हमेशा पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी के लिए दुआ करता रहा।’ 
 
रजा तब मैच रेफरी क्रिस ब्रॉड, मैदानी अंपायर साइमन टफेल तथा टीवी और रिजर्व अंपायरों के साथ गाड़ी में स्टेडियम जा रहे थे, जब आतंकवादियों ने उन पर गोलियां चलानी शुरू की थी। उन्होंने कहा, ‘मुझे याद है कि हम सभी गाड़ी के फर्श पर लेट गए लेकिन एक गोली मेरे कंधे और दूसरी गोली मेरे पेट पर लगी और मैं बेहोश हो गया।’ 
 
रजा का इसके बाद ऑपरेशन किया गया क्योंकि डर था कि उनके गुर्दों को शायद नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैं किसी तरह से बच गया और आज मेरे लिए यह बड़ा सम्मान है कि मैं उस काले दिन के बाद पाकिस्तान में पहली अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला के मैचों में अंपायरिंग करूंगा।’ 
 
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को दो टी20 और तीन एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला में अपने अंपायर नियुक्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि आईसीसी ने सुरक्षा कारणों से जिम्बाब्वे के खिलाफ होने वाली श्रृंखला के लिए मैच अधिकारी भेजने से इनकार कर दिया।
 
क्रिकेट जिम्बाब्वे ने पूर्व टेस्ट अंपायर रसेल टिफिन को अपनी टीम के साथ भेजा है और वह तीनों वनडे में अंपायरिंग करेंगे। पीसीबी ने इसके अलावा राष्ट्रीय चयनकर्ता अजहर खान को श्रृंखला के लिए मैच रेफरी नियुक्त किया है। (भाषा)