Last Modified: नई दिल्ली (वार्ता) ,
मंगलवार, 11 सितम्बर 2007 (12:08 IST)
'छुपा रुस्तम' साबित हो सकता है भारत
आक्रामक विकेटकीपर बल्लेबाज महेन्द्रसिंह धोनी की अगुवाई में युवा खिलाड़ियों से लैस भारत दक्षिण अफ्रीका में शुरू हो रहे ट्वेंटी-20 क्रिकेट विश्वकप में छुपा रुस्तम साबित हो सकता है।
भारतीय खिलाड़ियों के पास क्रिकेट के इस नए सरपट स्वरूप का ज्यादा अनुभव तो नहीं है, लेकिन टीम के युवा खिलाड़ियों के पास कुछ कर दिखाने की क्षमता है।
ट्वेंटी-20 विश्वकप के लिए भारतीय टीम में तीन दिग्गज खिलाड़ी सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ शामिल नहीं हैं। तीनों ने इस विश्व कप से खुद को दूर रखने का फैसला किया। इन तीन धुरंधरों की अनुपस्थिति में युवा खिलाड़ियों को अपने आपको साबित करने का सुनहरा मौका मिला है।
ट्वेंटी-20 की भारतीय टीम को देखा जाए, तो 29 वर्षीय अजीत आगरकर टीम के सबसे वरिष्ठ खिलाड़ी हैं, जबकि आक्रामक ओपनर वीरेंद्र सहवाग 28 वर्ष के और ऑफ स्पिनर हरभजनसिंह 27 वर्ष के हैं। अन्य सभी खिलाड़ियों की उम्र 26 वर्ष से कम है।
भारत की टेस्ट और वनडे टीमों से बाहर चल रहे सहवाग, हरभजन और इरफान पठान ने ट्वेंटी-20 के जरिये भारतीय टीम में वापसी की है। ये तीनों खिलाड़ी इस विश्वकप में अच्छा प्रदर्शन कर भारत की टेस्ट और एक दिवसीय टीमों में लौटने के लिए बेताब हैं।
भारतीय टीम का सबसे मजबूत पक्ष उसकी बल्लेबाजी है। सहवाग, रॉबिन उथप्पा, युवराजसिंह और धोनी किसी भी गेंदबाजी आक्रमण की धज्जियाँ उड़ा सकते हैं। गौतम गंभीर, दिनेश कार्तिक और रोहित शर्मा भी तेज गति से रन जुटा सकते हैं।
इरफान पठान, उनके भाई यूसुफ और जोगिन्दर शर्मा गेंद के साथ-साथ बल्ले से भी जोरदार हाथ दिखा सकते हैं। यूसुफ को लोग आमतौर पर इरफान के भाई के रूप में जानते हैं, लेकिन उन्हें उनकी ऑलराउंडर क्षमता के कारण ही टीम में जगह मिली। कसी स्पिन गेंदबाजी करने के अलावा गेंदों को सीमारेखा के पास पहुँचाने का दमखम रखते हैं
भारत की बल्लेबाजी का मुख्य दारोमदार सहवाग के कंधों पर रहेगा। भारत ने गत दिसंबर में अब तक का जो अपना एकमात्र ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच दक्षिण अफ्रीका में खेला था, उसमें सहवाग ही कप्तान थे। भारत ने यह मैच कार्तिक की शानदार पारी से जीता था।
सहवाग शुरुआती ओवरों में काफी विस्फोटक गति से बल्लेबाजी करते हैं। वे वनडे में कुछ ही ओवरों में 30-40 रन ठोक दिया करते थे, लेकिन इसके बाद आउट होने की प्रवृत्ति के कारण ही उन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया था। मगर वह इस बार ऐसी गलती नहीं दोहराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उनका मानना है कि इस विश्वकप में सफलता हासिल करने के लिए किसी भी टीम को पूरे 20 ओवर खेलने चाहिए और खेल के इस स्वरूप में 200 का स्कोर ही सुरक्षित माना जा सकता है।